चैतन्य बघेल को शराब घोटाले से 1000 करोड़ रुपए मिले हैं। इसमें से 800 करोड़ रुपए हैंडलिंग करते हुए फरार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल को दिया गया।
शराब घोटाले में जेल भेजे गए चैतन्य बघेल और कोयला में जयचंद कोसले की जमानत को कोर्ट ने खारिज कर दिया। दोनों ही जमानत आवेदन पर ईओडब्ल्यू के विशेष न्यायाधीश ने बुधवार को फैसला सुनाया।
बचाव पक्ष ने अपनी दलील पेश करते हुए कहा कि शराब घोटाला में फरार आरोपी लक्ष्मीनारायण उर्फ पप्पू बंसल के बयान के आधार पर चैतन्य को गिरतार किया गया है। बिना किसी पुता साक्ष्य के एक आरोपी के बयान के आधार पर उनके पक्षकार के खिलाफ अपराध नहीं बनता है। इस प्रकरण में 29 लोगों को बिना गिरतार किए चालान पेश किया गया है। वहीं, 10 लोगों को जमानत पर रिहा किया जा चुका है।
इसे देखते हुए चैतन्य को जमानत दिए जान का अनुरोध किया। अभियोजन पक्ष के विशेष लोक अभियोजक ने अदालत को बताया कि चैतन्य बघेल को शराब घोटाले से 1000 करोड़ रुपए मिले हैं। इसमें से 800 करोड़ रुपए हैंडलिंग करते हुए फरार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल को दिया गया। जांच के दौरान इसके डिजिटल साक्ष्य मिले हैं।
सौया चौरसिया, एपी त्रिपाठी, अनवर ढेबर और पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा के वॉट्सऐप चैट में रकम के संबंध में इसका जिक्र मिला है। ईओडब्ल्यू के विशेष लोक अभियोजक ने जयचंद कोसले की जमानत पर तर्क प्रस्तुत किया।
साथ ही बताया कि सीएम हाउस में पदस्थ तत्कालीन सचिव सौया चौरसिया (वर्तमान में निलंबित) ने नगर निगम के छोटे से कर्मचारी जयचंद को अपना निज सहायक बनाया। उसे शासकीय वाहन उपलब्ध कराया, जबकि इसकी पात्रता नहीं थी। कोयला घोेटाले के मुय आरोपी सूर्यकांत तिवारी (जमानत पर) के बडे़ भाई रजनीकांत के घर पर छापेमारी के दौरान आयकर विभाग को डायरी मिली थी। इसमें कोयला घोटाले की रकम विभिन्न लोगों तक पहुंचाने का ब्योरा दिया गया है। विशेष न्यायाधीश ने तर्कों को सुनने के बाद चैतन्य और जयचंद की जमानत को खारिज कर दिया।