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“भारत पहुंचे अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मुत्ताकी, जयशंकर से मुलाकात से पहले खड़ी हुई नई मुसीबत”

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अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी गुरुवार (9 अक्तूबर 2025) को एक हफ्ते की यात्रा पर दिल्ली पहुंचे हैं. भारत में उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि हम उनके साथ द्विपक्षीय संबंधों और क्षेत्रीय मुद्दों पर बातचीत के लिए उत्सुक हैं.

अमीर खान मुत्ताकी भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल से मुलाकात कर सकते हैं. यह यात्रा क्षेत्रीय कूटनीति के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. पाकिस्तान ने यूनाइटेड नेशन में काफी कोशिश की थी कि मुत्ताकी भारत का दौरा नहीं कर पाएं.

तालिबान के झंडे को लेकर खड़ी हुई मुसीबत

विदेश मंत्रालय में दोनों देशों की द्विपक्षीय बैठकों की तैयारी चल रही है तो वहीं अधिकारियों के सामने झंडे को लेकर दुविधा बनी हुई है. कूटनीतिक प्रोटोकॉल के अनुसार, फोटो खिंचवाने के लिए भारतीय ध्वज को मेहमान नेता के देश के झंडे के साथ-साथ रखा जाना चाहिए. चूंकि भारत अफगानिस्तान में तालिबान के शासन को मान्यता नहीं देता है, इसलिए वह तालिबान के झंडे को भी आधिकारिक दर्जा भी नहीं दे सकता.

दूतावास में अफगानिस्तान का पुराना झंडा फहराया जा रहा

भारत ने अभी तक तालिबान के झंडे को नई दिल्ली स्थित अफगान दूतावास पर फहराने की अनुमति नहीं दी है. दूतावास में अभी भी अफगानिस्तान इस्लामी गणराज्य का पुराना झंडा फहराया जाता है, जो अब पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के समय आधिकारिक झंडा था. भारतीय अधिकारियों और मुत्ताकी के बीच पिछली बैठक के दौरान अफगानिस्तान ने पीछे तालिबान का झंडा इस्तेमाल किया था.

इस साल की शुरुआत में दुबई में विदेश सचिव विक्रम मिस्री की मुत्तकी के साथ बैठक हुई थी. इस दौरान अधिकारियों ने पीछे कोई झंडा न लगाकर समस्या का समाधान निकाला था. इस दौरान न तिरंगा लगाया गया और न ही तालिबान का झंडा, लेकिन इस बार बैठक दिल्ली में हो रही है और यह मुद्दा अधिकारियों के लिए एक कूटनीतिक चुनौती बन गया है.

पटरी पर लौट रहा भारत-अफगानिस्तान रिश्ता

भारत और अफगानिस्तान के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं. साल 2021 में यहां से अमेरिका की वापसी और तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद भारत ने काबुल में अपना दूतावास बंद कर दिया. करीब एक साल बाद भारत ने व्यापार, चिकित्सा सहायता और मानवीय सहायता की सुविधा के तहत एक छोटा मिशन शुरू किया.

भारत ने तालिबान सरकार को आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं दी है, लेकिन दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच बैठकों और वार्ताओं के माध्यम से संबंधों को बेहतर बनाने के लिए अस्थायी कदम उठाए हैं. मुत्ताकी की भारत यात्रा से काबुल में स्थापित तालिबान के साथ भारत के संबंधों में एक नया आयाम जुड़ने की उम्मीद है.