अगर आपके पास ट्रेन का जनरल टिकट है और सफर के दौरान खो जाता है और आप हादसे के चपेट में आ जाते हैं तो भी रेलवे आपको मुआवजा देने से मना नहीं कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय रेलवे को ऐसे मामलों में मुआवजा देने से इनकार करने के लिए तकनीकी बहानों का सहारा लेने से मना किया है. जस्टिस अरविंद कुमार और एनवी अंजारिया की बेंच ने फैसला सुनाया कि अगर यात्रा की तारीख और रूट के लिए वैध टिकट का सबूत है, तो यह यात्रा की प्रामाणिकता साबित करने के लिए पर्याप्त है.
कोर्ट ने कहा कि मुआवजे का आर्थिक बोझ भारतीय रेलवे को सहना होगा, अगर यात्रा का स्पष्ट सबूत मौजूद हो. टिकट का फिजिकल सबूत न मिलना या पुलिस का जब्ती मेमो न होना, दावे को खारिज करने का आधार नहीं हो सकता, जब अन्य परिस्थितियां यात्री सफर करने की पुष्टि करती हों. जस्टिस कुमार ने अपने फैसले में कहा कि रेलवे अधिनियम की धारा 124-ए के तहत मुआवजा देने का अधिकार वास्तविक और सुलभ होना चाहिए.
यह धारा रेल हादसों या अप्रिय घटनाओं में मृत्यु या चोट के लिए रेलवे को सख्ती से जिम्मेदार ठहराती है. कोर्ट ने सभी भविष्य के ट्रिब्यूनल और हाई कोर्ट को निर्देश दिया कि वे इस फैसले को आधार बना कर लागू करें, ताकि पीड़ितों को राहत मिल सके.
यह धारा रेल हादसों या अप्रिय घटनाओं में मृत्यु या चोट के लिए रेलवे को सख्ती से जिम्मेदार ठहराती है. कोर्ट ने सभी भविष्य के ट्रिब्यूनल और हाई कोर्ट को निर्देश दिया कि वे इस फैसले को आधार बना कर लागू करें, ताकि पीड़ितों को राहत मिल सके.