जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में गुरुवार को बड़ी तबाही आई. किश्तवाड़ के सुदूर पहाड़ी गांव चशोती में गुरुवार दोपहर बादल फटने से चीख-पुकार मच गई. किश्तवाड़ में उस जगह बादल फटा, जहां मचैल माता मंदिर जाने का रास्ता है. चशोती गांव में बादल फटने से अब तक 47 लोगों की मौत हो चुकी है. अभी मृतकों का आंकड़ा और बढ़ सकता है. मरने वालों में सीआईएसएफ के दो जवान भी शामिल हैं, जबकि कई अब भी फंसे हैं. मलबों से जिंदगियों को बचाने की कोशिश जारी है. गुरुवार को चशोती गांव में सूर्यास्त होने तक बचावकर्मियों ने कड़ी मेहनत से मलबे के ढेर से 167 लोगों को बाहर निकाला. इनमें से 38 की हालत गंभीर है. जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, मृतकों की संख्या लगातार बढ़ती गई और आशंका है कि यह और बढ़ सकती है.
दरअसल, किश्तवाड़ के मचैल माता मंदिर जाने वाले रास्ते के चशोती गांव में यह आपदा दोपहर 12 बजे से एक बजे के बीच आई. हादसे के समय मचैल माता यात्रा के लिए बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे. साढ़े नौ हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित मचैल माता मंदिर तक जाने के लिए श्रद्धालु चशोती गांव तक वाहन से पहुंच सकते हैं, उसके बाद उन्हें 8.5 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी होती है. कुछ लोगों का कहना है कि सैकड़ों यात्री उस वक्त उस गांव में मौजूद थे, जहां बादल फटा.
चशोती गांव किश्तवाड़ शहर से लगभग 90 किलोमीटर दूर है. यहां श्रद्धालुओं के लिए लगाया गया एक लंगर (सामुदायिक रसोईघर) इस घटना से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ. बादल फटने के कारण अचानक बाढ़ आ गई और दुकानों एवं एक सुरक्षा चौकी सहित कई इमारतें बह गईं.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से फोन पर बात कर केंद्र की ओर से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया. शाह ने कहा कि एनडीआरएफ की टीमें तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गई हैं और हालात पर कड़ी नजर रखी जा रही है. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बताया कि बचाव कार्यों के लिए जम्मू-कश्मीर के भीतर और बाहर से संसाधन जुटाए जा रहे हैं. फिलहाल श्री मचैल यात्रा को अगली सूचना तक स्थगित कर दिया गया है. राहत और बचाव कार्य में दर्जनों टीमें लगी हुई हैं, लेकिन ऊबड़-खाबड़ इलाका और लगातार हो रही बारिश ऑपरेशन को चुनौतीपूर्ण बना रही है. स्थानीय प्रशासन ने लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है.
क्यों प्रसिद्ध है माता मचैल मंदिर
Kishtwar Cloudburst Latest Updates: माता मचैल की पवित्र यात्रा में इस वर्ष न केवल जम्मू के श्रद्धालु शामिल हुए, बल्कि मध्य प्रदेश, पंजाब और हरियाणा से भी भक्त मां के चमत्कारी दर्शन के लिए पहुंचे थे. पंजाब के जालंधर और मध्यप्रदेश के कुछ लोग भी इस घटना में लापता हैं. मचैल माता का यह अद्वितीय मंदिर भारत में एकमात्र ऐसा स्थान माना जाता है, जहां मां साक्षात् दर्शन देती हैं- किसी के लिए कंगन हिलाकर, किसी के लिए नथनी या घुंघरू हिलाकर. कई विशेषज्ञ इस रहस्य को जानने का प्रयास कर चुके, परंतु कोई भी इस दिव्य चमत्कार का रहस्य नहीं सुलझा पाया. साल में केवल डेढ़ से दो माह तक चलने वाली इस यात्रा का भक्त पूरे वर्ष बेसब्री से इंतजार करते हैं. 2025 की यात्रा सुखद चल रही थी, पर अचानक बादल फटने से बड़ा हादसा हो गया. कई श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई, कई घायल हुए और कुछ लापता हैं. अब हर भक्त मां के चरणों में प्रार्थना कर रहा है कि सभी घायलों और लापता श्रद्धालुओं की रक्षा हो.