“NDA सीट शेयरिंग फॉर्मूला क्या होगा? जानिए BJP-JDU की बराबरी से चिराग का घाटा क्यों होगा”
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी जोर-शोर से चल रही है, और सबसे बड़ा सवाल यह है कि एनडीए (NDA) का सीट शेयरिंग फॉर्मूला क्या होगा। खासकर बीजेपी और जेडीयू (JDU) के बीच सीटों का बंटवारा, जो बिहार की राजनीति के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है। इस फॉर्मूले का असर न सिर्फ बिहार की भविष्यवाणी पर होगा, बल्कि चिराग पासवान और उनकी लोजपा (रामविलास) के लिए भी बड़ा चैलेंज हो सकता है। आइए, हम जानते हैं NDA के सीट शेयरिंग फॉर्मूले और चिराग पासवान के लिए संभावित घाटे के बारे में।
NDA का सीट शेयरिंग फॉर्मूला: BJP और JDU की बराबरी भा.ज.पा (BJP) और जेडीयू (JDU) के बीच सीटों का बंटवारा अब तक मुख्य रूप से बराबरी का रहा है। यदि बिहार में एनडीए की सीट शेयरिंग की बात की जाए, तो बीजेपी और जेडीयू दोनों पार्टियां चुनावी मैदान में बराबरी का हिस्सा साझा करती हैं। बीजेपी (BJP) को विधानसभा की 110 से 120 सीटें मिल सकती हैं। जेडीयू (JDU) को भी लगभग 110 से 120 सीटें मिल सकती हैं। एलजेपी (लोजपा) और अन्य छोटे सहयोगी दलों को मिलाकर एनडीए का सीट बंटवारा लगभग 243 सीटों के मुकाबले किया जाएगा। NDA का यह फॉर्मूला राज्य में सत्ताधारी गठबंधन के रूप में मुख्य रूप से काम करता है, जहां दोनों पार्टियां – बीजेपी और जेडीयू – बराबरी से सीटों पर लड़ाई करती हैं।
चिराग पासवान का घाटा क्यों होगा? अब बात करते हैं चिराग पासवान और उनकी पार्टी लोजपा (रामविलास) के बारे में। जब से चिराग पासवान ने अपनी पार्टी लोजपा को एक नया स्वरूप दिया और लोजपा का नेतृत्व अपने हाथ में लिया, तब से वह बीजेपी के साथ तालमेल के बावजूद जेडीयू के खिलाफ सख्त आवाज़ उठा रहे हैं। चिराग पासवान के लिए बड़ा संकट: चिराग को इस बार सीट बंटवारे में भारी घाटा हो सकता है क्योंकि इस बार बीजेपी और जेडीयू दोनों ने एनडीए के अंदर एकजुट होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। चिराग की लोजपा को बीजेपी के साथ गठबंधन में सीटों का हिस्सा मिल सकता है, लेकिन जेडीयू से अलग होने और अलग लड़ा चुनाव करने की स्थिति में उनकी पार्टी के लिए जगह बनाना मुश्किल हो सकता है। 2020 विधानसभा चुनाव में भी चिराग पासवान ने बीजेपी के समर्थन से ही चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार जब बीजेपी और जेडीयू के बीच सीटों का समान बंटवारा होगा, तो चिराग को कुछ कम सीटों का ही मिलना तय माना जा रहा है। साथ ही, वह जेडीयू के खिलाफ अपनी पार्टी का रुख अपनाने की वजह से एनडीए में अंदरूनी संकट का सामना कर सकते हैं।
चिराग के लिए संभावित घाटा सीटों की संख्या में कमी: चिराग को इस बार एनडीए से बाहर होने के बाद कम सीटों का हिस्सा मिल सकता है। बीजेपी-जेडीयू की गठबंधन मजबूती: बीजेपी और जेडीयू के बीच मजबूत गठबंधन की वजह से चिराग के लिए सीटों की मांग करना और उम्मीदवार खड़ा करना कठिन हो सकता है। जेडीयू और बीजेपी की साझा रणनीति: दोनों पार्टी मिलकर चुनावी मैदान में उतरने की योजना बना रहे हैं, जिसका असर चिराग की पार्टी पर पड़ेगा।