सुप्रीम कोर्ट ने मतदाता सूची सुधार यानी SIR के काम में लगे बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) को लेकर महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने राज्य सरकारों से इस काम में लगे कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने पर विचार करने को कहा है.
कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर किसी कर्मचारी को व्यक्तिगत कारणों से BLO की ड्यूटी करने में समस्या हो, तो मामले के तथ्यों को देखा जाए. इसके आधार पर सक्षम अधिकारी उसे इस काम से हटाने पर निर्णय लें
चीफ जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की बेंच ने कोर्ट ने यह आदेश तमिलनाडु की पार्टी टीवीके के आवेदन को सुनते हुए दिया है. हालांकि, कोर्ट ने साफ किया कि SIR चुनाव से जुड़ा आवश्यक काम है. सरकारी कर्मचारियों को इसे करना ही होगा. काम में कोताही बरतने वाले BLO पर FIR दर्ज होने पर कोर्ट ने कहा कि ऐसा पहले भी होता रहा है. इस तरह की प्रक्रिया को एक समय सीमा में पूरा करना जरूरी है.
टीवीके ने तमिलनाडु में SIR से जुड़े काम के दबाव में कुछ BLO के आत्महत्या कर लेने का मामला उठाया था. इस पर जजों ने कहा कि अगर राज्य सरकार कर्मचारियों की संख्या बढ़ा दे, तो काम का दबाव घट सकता है. कोर्ट ने कहा, ‘तमिलनाडु सरकार ने लगभग 1 लाख 30 हजार कर्मचारी SIR के लिए दिए हैं. 30-40 हजार कर्मचारी और उपलब्ध करवाने में क्या समस्या है?’
कोर्ट ने साफ किया कि उसका आदेश उन सभी राज्यों के लिए है, जहां इस समय SIR चल रहा है. गुरुवार, 4 दिसंबर को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश दिए हैं :-
जहां आवश्यक है राज्य सरकार ज्यादा संख्या में कर्मचारियों को SIR के लिए चुनाव आयोग को दे. इससे कर्मचारियों पर काम का दबाव घटेगा.
जिन लोगों को व्यक्तिगत कारण से SIR का काम करने में समस्या आ रही है, उनके आवेदन पर सक्षम अधिकारी विचार करें. हर मामले के तथ्यों के हिसाब से हो निर्णय.
अगर किसी कर्मचारी को कोई विशिष्ट राहत चाहिए तो वह कोर्ट आ सकता है.
कोर्ट ने तीसरा निर्देश तब दिया जब टीवीके के लिए पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायण ने SIR ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले BLO के परिजनों को मुआवजा समेत दूसरी मांगों का उल्लेख किया. कोर्ट ने कहा कि जरूरत पड़ने पर प्रभावित पक्ष आवेदन दाखिल कर सकते हैं.
शंकरनारायणन ने यह दलील भी दी कि ज्यादातर BLO आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और शिक्षक हैं. वह इतने कम समय में SIR जैसे महत्वपूर्ण काम को कर पाने के लिए प्रशिक्षित नहीं हैं. BLO सुबह 5 बजे से लेकर देर रात तक काम कर रहे हैं. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि चुनाव आयोग खुद अपने सभी कार्य नहीं कर सकता. उसे राज्य के कर्मचारियों पर निर्भर रहना पड़ता है. राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि वह अधिक कर्मचारी उपलब्ध करवाएं. अगर किसी कर्मचारी को कठिनाई है, तो राज्य सरकार उसे छूट देकर दूसरा कर्मचारी नियुक्त करे.



