“‘अनंत चतुर्दशी’ को गणेश जी के विसर्जन से पहले जान लें ये जरूरी बातें, कहीं कोई गलती न हो जाए”
Ganesh Visarjan 2025: रिद्धि-सिद्धि का दाता भगवान श्री गणेश जी का गणेशोत्सव का समापन होने का वक्त आ गया है और पूरे देशभर में विसर्जन की तैयारियां जोरों पर हैं। जैसा कि आप जानते है कि अनंत चतुर्दशी का पर्व हर गणेशोत्सव का अंतिम दिन भी होता है, जब भक्त गणपति बप्पा को धूमधाम से विदा करते हैं।
इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा करने के साथ-साथ गणपति विसर्जन का भी विशेष महत्व होता हैं। लेकिन इस दौरान कुछ गलतियों को करने से बचना चाहिए। ऐसे में आइए जानते है गणपति विसर्जन के दौरान किन गलतियों को करने से बचना चाहिए?
गणपति विसर्जन के दौरान किन गलतियों को करने से बचना चाहिए नदी- तालाबों को गंदा न करें ज्योतिषयों के अनुसार,गणपति विसर्जन के दौरान गणपति की मूर्तियों को सीधे नदियों या तालाबों में न विसर्जित करें। आजकल पर्यावरण की रक्षा के लिए कृत्रिम टैंक या घर में ही विसर्जन की परंपरा अपनाई जाती है। इससे जल प्रदूषण नहीं होता हैं।
नशा करके विसर्जन गणपति विसर्जन के दिन नशे का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए। इस दिन पूरी तरह से सात्विक रहना चाहिए और शुद्ध मन से भगवान की विदाई करनी चाहिए।
अखंडित मूर्ति गणपति विसर्जन के दौरान एक बात का विशेष ध्यान रखें कि विसर्जन के लिए ले जाने से पहले मूर्ति खंडित न हो। खंडित मूर्ति का विसर्जन करना अशुभ माना जाता है।
सीधा पानी में विसर्जन न करें गणपति विसर्जन के दौरान मूर्ति को सीधे पानी में फेंकने या डालने की बजाय, उसे धीरे-धीरे और सम्मानपूर्वक जल में प्रवाहित करें। ऐसा करने से यह एक सम्मानजनक विदाई होगी।
गणपति विसर्जन के दौरान पूजा सामग्री यानी फुल-माला, कपड़े, नारियल या मिठाई जैसी चीजों को पानी में न बहाएं। इन्हें साफ जगह या किसी पवित्र वृक्ष की जड़ में रखें।
जानिए क्या है गणपति विसर्जन का महत्व हिन्दू धर्म में जिस प्रकार गणेशोत्सव का पर्व पूरे धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है ठीक उसी प्रकार गणपति विसर्जन भी होता हैं। अनंत चतुर्दशी का दिन, गणेश चतुर्थी के दस दिवसीय उत्सव का समापन होता हैं।
इस दिन किया गया विसर्जन सिर्फ एक मूर्ति का विसर्जन नहीं, बल्कि अपने सभी दुखों और परेशानियों को भगवान के साथ विसर्जित करने का प्रतीक भी माना जाता हैं। इसलिए, इस विदाई को पूरी श्रद्धा, सम्मान और सही विधि-विधान के साथ करा जाता है, ताकि बप्पा अगले साल फिर से हमारे घर आ सकें।