अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वार के कारण भारत के साथ खराब हुए रिश्तों को पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही है। दोनों ही देशों के नेतृत्व ने इसकी पहल की है। इस सबके बीच भारत के लिए नॉमिनेट किए गए नए राजदूत सर्जियो गोर ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप जल्द ही भारत का दौरा कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि क्वाड देशों की बैठक में शामिल होने के लिए ट्रंप भारत आएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि फिलहाल तारीख तय नहीं हुई है।
गोर ने कहा, “Quad बैठक को लेकर बातचीत हो चुकी है। बिना सटीक तारीख बताए मैं कह सकता हूं कि राष्ट्रपति ट्रंप क्वाड की निरंतरता और उसके सशक्तिकरण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।
पिछले साल यह रिपोर्ट आई थी कि क्वाड में शामिल भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इस साल भारत में शिखर सम्मेलन आयोजित करने पर विचार कर रहे थे। 2024 का क्वाड शिखर सम्मेलन भारत में होने वाला था, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के विदेश यात्रा में असमर्थ रहने और चुनावी व्यस्तताओं के चलते इसे अमेरिका शिफ्ट किया गया था। इस साल की बैठक पिछले साल सितंबर में राष्ट्रपति बाइडेन द्वारा आयोजित बैठक से अलग होगी, क्योंकि अमेरिका और जापान में नए नेतृत्व हैं।
सर्जियो गोर ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप इस साल जापान की यात्रा कर चुके हैं और वहां के प्रधानमंत्री से मुलाकात की है। उन्होंने कहा, “वे भी क्वाड का हिस्सा हैं और उन्होंने भी इस रिश्ते की अहमियत पर जोर दिया है, जिस पर हमें आगे काम करना है।
भारत को चीन से दूर रखना चाहते हैं ट्रंप गोर ने बताया कि हाल ही में अलास्का में दोनों देशों के 500 सैनिकों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास आयोजित किया गया। उन्होंने कहा, “टैरिफ पर कुछ मतभेद जरूर रहे हैं, लेकिन भारत-अमेरिका संबंध कहीं ज्यादा गहरे और लंबे समय के भरोसे पर टिके हैं।” गोर ने यह भी संकेत दिया कि अमेरिका भारत के साथ अपने रिश्तों को इतना मजबूत करना चाहता है कि भारत चीन से दूरी बनाए। उनके अनुसार, “भारत का रिश्ता अमेरिका के साथ कहीं ज्यादा गर्मजोशी भरा है, न कि बीजिंग के साथ।”
आपको बता दें कि गलवान घाटी में संघर्ष के बाद भारत-चीन के रिश्तों में दूरी आई थी। इसके बाद से पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी महीने चीन का दौरा किया था। उस दौरान उन्होंने शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बैठकें भी की। इस दौरान तीनों नेताओं के बीच अभूतपूर्व समीकरण देखने को मिले था।