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लेह में Gen-Z के विरोध के बाद लगा कर्फ्यू, CRPF की 8 कंपनियां तैनात

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केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा की मांग उठ रही है. बुधवार को शुरू हुआ आंदोलन अचानक से हिंसा, आगजनी और झड़प में बदल गया. इसमें 4 लोगों की मौत हो गई और 90 के करीब लोग घायल हो गई. लद्दाख में शांति बहाल के लिए पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने लेह शहर में कर्फ्यू सख्ती से लागू कर दिया. लेह एपेक्स बॉडी (लैब) द्वारा लद्दाख के लिए छठी अनुसूची के विस्तार और राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर बुधवार को बुलाए गए बंद के दौरान हुई हिंसा के सिलसिले में अब तक कम से कम 50 लोगों को हिरासत में लिया गया है.
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि, ‘कर्फ्यू वाले इलाकों में स्थिति नियंत्रण में है. कहीं से भी किसी घटना की सूचना नहीं है.’ वर्तमान स्थिति को देखते हुए लेह के जिला मजिस्ट्रेट रोमिल सिंह डोनक ने शुक्रवार से दो दिन के लिए सभी सरकारी और निजी स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शिक्षण संस्थानों को बंद करने का आदेश दिया है. जिलाधिकारी ने कहा कि आंगनवाड़ी केंद्र भी बंद रहेंगे.

हड़ताल हिंसा बढ़ने के कारण जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने अपनी 14 दिन की भूख हड़ताल को बीच में ही खत्म कर दिया. उन्होंने हिंसा की निंदा की. वांगचुक ने कहा, ‘यह लद्दाख के लिए सबसे दुखद दिन है… पिछले पांच सालों से हम जिस रास्ते पर चल रहे थे, वह शांतिपूर्ण था.’ उन्होंने युवाओं से अपील की कि ‘हिंसा तुरंत बंद करें क्योंकि यह हमारे आंदोलन को नुकसान पहुंचाती है.’
वांगचुक पर सरकार का आरोप

केंद्र सरकार ने इस अशांति के लिए वांगचुक को ही जिम्मेदार ठहराया और आरोप लगाया कि यह भीड़ द्वारा की गई हिंसा उनके ‘भड़काऊ बयानों’ से प्रेरित थी. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुरुवार को लद्दाख में संवैधानिक सुरक्षा की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई. मंत्रालय ने कहा कि पुलिस विदेशी तत्वों की संभावित भागीदारी की जांच कर रही है क्योंकि घायलों में से तीन नेपाली नागरिक थे. वहीं, वांगचुक ने गृह मंत्रालय के आरोपों को बलि का बकरा बनाने की रणनीति बताया. उनका कहना है कि सरकार का उद्देश्य हिमालयी क्षेत्र की मूल समस्याओं से निपटने को टालना है.

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