करीब 62 साल पहले की बात है, जब पाकिस्तान को अमेरिका से मिला F-104 स्टारफाइटर उसका घमंड का सबब बन गया था. पाकिस्तान इस फाइटर जेट के दम पर भारत को आंखें दिखाने लगा था. लेकिन जब भारत ने अमेरिका से F-104 की बात की, तो अमेरिका ने नाक-भौं सिकोड़ ली. फिर भारत ने ऐसा आसमान का ‘सिकंदर’ खोज निकाला, जिसने अपनी ताकत और चपलता से न सिर्फ पाकिस्तान का गुरूर तोड़ा, बल्कि दुनिया को दिखा दिया कि असली ताकत क्या होती है.
जी हां, हम बात कर रहे हैं भारत के लेजेंडरी सुपरसोनिक फाइटर जेट मिग-21की, जिसने छह दशकों तक आसमान में तिरंगे का परचम लहराया. अब आसमान का यह सिकंदर अपनी आखिरी उड़ान की तैयारी में है, क्योंकि भारतीय वायुसेना अपने आखिरी मिग-21 स्क्वाड्रन को आज यानी 26 सितंबर 2025 को रिटायर करने जा रही है. आइए, इस विदाई के इस मौके पर जानते हैं कि कैसे मिग-21 ने दुश्मनों को धूल चटाई और भारत का नाम रौशन किया.
‘फिशबेड’ जो बना आसमान का बादशाह
1960 के दशक में जब मिग-21 भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ, तो ये सोवियत यूनियन (आज का रूस) का बनाया फाइटर जेट एकदम सुपरस्टार बन गया. नाटो ने इसे ‘फिशबेड’ का नाम दिया था, लेकिन भारत के लिए ये था हमारा ‘सिकंदर’. छोटा, हल्का, और मैक 2 की रफ्तार से उड़ने वाला ये जेट उस जमाने का रॉकस्टार था. इसकी खासियत थी इसकी सादगी और ताकत. इसे उड़ाना आसान था, मेंटेनेंस सस्ता था और युद्ध में ये दुश्मन के लिए काल बन जाता था. 1963 में भारत ने इसे अपनी वायुसेना में शामिल किया और फिर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने इसे लाइसेंस के तहत बनाना शुरू किया. बस, यहीं से मिग-21 की कहानी भारत में हिट हो गई.
फुस्स निकला पाकिस्तान का F-104 स्टारफाइटर
पाकिस्तान को अमेरिका से मिला F-104 स्टारफाइटर उस वक्त बहुत हाइप में था. इसे ‘मिसाइल विद ए मैन’ कहकर प्रचारित किया गया था. तेज रफ्तार तो थी, लेकिन इसकी डिजाइन में वो बात नहीं थी. F-104 के पतले, सीधे पंख इसे स्पीड तो देते थे, लेकिन हवा में अठखेलियां करने और टर्न लेने में ये मिग-21 से कोसों पीछे था. 1971 के भारत-पाक युद्ध में मिग-21 ने F-104 को ऐसा सबक सिखाया कि पाकिस्तान की सारी हेकड़ी निकल गई.
मिग-21 ने अपनी 23एमएम मिसाइल से चार F-104 को धूल चटा दी. पूरी दुनिया में F-104 को ‘द विडोमेकर’ कहा जाने लगा, क्योंकि ये जेट क्रैश होने के लिए कुख्यात हो गया था. युद्ध के बाद पाकिस्तान ने अपने सारे F-104 रिटायर कर दिए, क्योंकि वो मिग-21 की चपलता, बेहतर टर्न रेट और आसान मेंटेनेंस के सामने टिक ही नहीं पाए.
सस्ता, मस्त, ताकतवर और मस्तमौला था अपना मिग-21
मिग-21 की सबसे बड़ी खूबी थी इसकी किफायती कीमत और आसान रखरखाव. जहां F-104 को चलाने के लिए भारी-भरकम इन्फ्रास्ट्रक्चर चाहिए था, वहीं मिग-21 को कम संसाधनों में भी ऑपरेट किया जा सकता था. इसका ट्यूमांस्की R-25 इंजन इतना दमदार था कि कम ऊंचाई पर 97.4 किलोन्यूटन की ताकत देता था. मिग-21 की डेल्टा विंग डिजाइन इसे तेज उड़ान और फुर्तीले टर्न की ताकत देती थी. यही वजह थी कि 1971 के युद्ध में मिग-21 ने न सिर्फ F-104 को हराया, बल्कि बांग्लादेश की आजादी में भी बड़ा रोल अदा किया.
ढाका के गवर्नर हाउस पर मिग-21 की रॉकेट स्ट्राइक ने पाकिस्तानी नेतृत्व को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया. इतना ही नहीं, 1999 के करगिल युद्ध और 2019 के बालाकोट हमले में भी मिग-21 ने अपनी ताकत दिखाई. बालाकोट में तो मिग-21 ने पाकिस्तान के F-16 को भी चित कर दिया था.
क्यों है मिग-21 इतना खास?
मिग-21 सिर्फ एक फाइटर जेट नहीं, बल्कि भारत की वायुसेना का गौरव था. इसने न सिर्फ युद्ध के मैदान में कमाल दिखाया, बल्कि भारत को आत्मनिर्भरता की राह पर भी आगे बढ़ाया. एचएएल ने इसे देश में बनाकर दिखाया कि भारत किसी से कम नहीं. इसकी सादगी, ताकत और फुर्ती ने इसे दुनिया के बेस्ट फाइटर जेट्स में शुमार किया.
लेकिन अब वक्त बदल रहा है. मिग-21 का जमाना धीरे-धीरे खत्म हो रहा है. भारतीय वायुसेना अब राफेल, तेजस और सु-30 जैसे आधुनिक जेट्स की तरफ बढ़ रही है. मिग-21 का आखिरी स्क्वाड्रन आज यानी 26 सितंबर 2025 रिटायर होने वाला है. लेकिन इस जटायु की कहानी हमेशा भारतीय वायुसेना के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखी जाएगी.