देश के अन्य छोटे-बड़े शहरों में जहां वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है, वहीं राजधानी दिल्ली में इसकी संख्या में बड़ी गिरावट आई है. दिल्ली में प्रति 1,000 व्यक्तियों पर वाहनों की संख्या 2015-16 के 530 से घटकर 2023-24 में 373 रह गई. इस दौरान सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी आई और यह साल 2015 के 8,085 से घटकर साल 2022 में 5,560 रह गईं. आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय ने अपने हालिया रिपोर्ट में कहा है कि बेहतर सार्वजनिक सुविधाओं की वजह से वाहनों की संख्या घटाने में मदद मिली है.
निदेशालय की ओर से सतत विकास लक्ष्यों की स्थिति पर हाल ही में जारी रिपोर्ट से पता चलता है कि डीटीसी और क्लस्टर बसों का बेड़ा 2015-16 के 5,842 से बढ़कर 2023-24 में 7,485 हो गया. हालांकि, इसी अवधि में औसत दैनिक सवारियों की संख्या 45.9 लाख से घटकर 42.4 लाख रह गई. दिल्ली मेट्रो में औसत दैनिक यात्री संख्या 2015-16 के 26.2 लाख से बढ़कर 2023-24 में 57.8 लाख हो गई. वाहनों की संख्या घटाने में सबसे अहम भूमिका मेट्रो की ही रही है.
आधी आबादी तक सार्वजनिक परिवहन की सुविधा
रिपोर्ट के अनुसार, 2015-16 में 42.95 प्रतिशत आबादी की पहुंच सार्वजनिक परिवहन की सुविधा तक थी, लेकिन 2022-23 में यह आंकड़ा घटकर 40.80 प्रतिशत रह गया. हालांकि, 2023-24 में 45.83 प्रतिशत आबादी के पास सार्वजनिक परिवहन की सुविधा उपलब्ध हो गई. रिपोर्ट में यह उम्मीद लगाई गई है कि साल 2030 तक सरकार को सभी के लिए सुरक्षित, किफायती, सुलभ और टिकाऊ परिवहन प्रणालियों तक पहुंच प्रदान करना चाहिए. साथ ही सड़क सुरक्षा में सुधार पर भी जोर दिया जाना चाहिए.
हादसों में आई गिरावट
रिपोर्ट के अनुसार, 2015-16 में प्रति 1,000 जनसंख्या पर वाहनों की संख्या 530 से घटकर 2022-23 में 370 रह गई. हालांकि, साल 2023-24 में मामूली रूप से बढ़कर 373 हो गई. इसके साथ ही रिपोर्ट से पता चलता है कि साल 2015 में जहां 8,085 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, वहीं साल 2021 में इनकी संख्या घटकर 4,720 रह गई. हालांकि, साल 2022 में यह संख्या फिर बढ़कर 5,560 हो गई.
दिल्ली में कितने वाहन
साल 2023 के अंत तक दिल्ली में कुल 79.5 लाख वाहन पंजीकृत थे, जिनमें से 20.7 लाख निजी कारें थीं. सड़क परिवहन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, एक समय दिल्ली में करीब 1.5 करोड़ से अधिक वाहन पंजीकृत थे. यह संख्या मुंबई, कोलकाता और चेन्नई शहर के कुल वाहनों के करीब-करीब बराबर है. हालांकि, हालिया आंकड़े साफ बताते हैं कि अब इसकी संख्या में काफी गिरावट आ चुकी है.