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CG: बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। खासकर जल्दी पकने वाली किस्मों की खेती करने वाले किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

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इस बार समय पर और बेहतर मानसून के चलते किसानों ने जून माह में ही धान की बोआई और रोपाई शुरू कर दी थी। समय पर हुए कृषि कार्य और पर्याप्त वर्षा का लाभ अब खेतों में साफ दिखाई दे रहा है। सितंबर के अंतिम सप्ताह तक आते-आते धान की बालियां सुनहरी हो चुकी हैं और पैदावार बंपर होने का अनुमान जताया जा रहा है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सरगुजा जिले में इस वर्ष करीब डेढ़ लाख हेक्टेयर में धान की खेती की गई है। प्रशासन ने खरीदी की तैयारियां भी तेज कर दी हैं। हालांकि लगातार हो रही बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। खासकर जल्दी पकने वाली किस्मों की खेती करने वाले किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

ये फसलें अगले 10 से 15 दिनों में कटाई योग्य हो जाएंगी, लेकिन खेतों में नमी बनी रहने से हार्वेस्टिंग में बड़ी दिक्कतें आएंगी। किसानों को आशंका है कि कटाई में देरी से फसल को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

कल्याणपुर के प्रगतिशील किसान नीलाभ शर्मा ने बताया कि इस बार समय पर बारिश से बोआई अच्छी हुई और अर्ली वैरायटी की फसल समय पर तैयार हो गई है। मगर लगातार वर्षा ने चिंता बढ़ा दी है। खेतों में नमी रहने से धान की कटाई बाधित होगी। यदि अक्टूबर-नवंबर तक बारिश का सिलसिला जारी रहा तो स्थिति और कठिन हो सकती है।

वरिष्ठ मौसम विज्ञानी एएम भट्ट ने बताया कि छत्तीसगढ़ से मानसून की विदाई 10 अक्टूबर को होगी। हालांकि तीन अक्टूबर को ओडिशा में बनने वाले निम्न दबाव का असर प्रदेश पर दो-तीन दिन तक रहेगा और सात अक्टूबर तक उमस व बरसात का दौर जारी रहेगा। भट्ट ने यह भी कहा कि औपचारिक विदाई के बाद भी स्थानीय प्रभाव और लो-प्रेशर सिस्टम के चलते छिटपुट बारिश होती रह सकती है।