इस बार विजयादशमी उत्सव 2 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन रावण के पुतलों का दहन करने की परंपरा है। वाल्मीकि रामायण सहित अनेक धर्म ग्रंथों में रावण से जुड़े रोचक फैक्ट्स बताए गए हैं। इनमें से कुछ फैक्ट्स ऐसे हैं जिनके बारे में कम ही लोगों को जानकारी है। जैसे रावण अपने पूर्व जन्म में कौन था और उसे सोने की लंका कैसे मिली। आगे जानिए रावण से जुड़े कुछ ऐसे ही रोचक फैक्ट्स के बारे में…
पूर्व जन्म में कौन था रावण?
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, रावण और कुंभकर्ण अपने पूर्व जन्म में भगवान विष्णु के द्वारपाल थे। इनका नाम जय-विजय। एक बार सनतकुमार जब भगवान विष्णु से मिलने आए तो जय-विजय ने उन्हें बैंकुठ लोक में प्रवेश करने से रोक दिया। क्रोध में आकर सनतकुमारों ने उन्हें मृत्युलोक में जन्म लेने का शाप दे दिया। इसी श्राप के कारण जय-विजय ने रावण और कुंभकर्ण के रूप में धरती पर जन्म लिया।
क्या रावण ने महादेव से मांगी थी सोने की लंका?
मान्यता है कि सोने की लंका भगवान शिव की थी, जिसे रावण ने दान में मांग ली थी। लेकिन ये बात बिल्कुल गलत है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, सोने की लंका पर पहले राक्षस ही निवास करते थे। बाद में इस पर कुबेरदेव का शासन हो गया। जब रावण विश्व विजय पर निकला तो उसने कुबेरदेव से सोने की लंका छीन ली और यहां पुन: राक्षसों की नगरी बसाई।
क्या रावण कभी किसी से नहीं हारा?
ऐसा कहते हैं कि रावण अजेय था, ये बात भी बिल्कुल गलत है क्योंकि रावण अपने जीवन काल में कईं योद्धाओं से हारा। रावण को महिष्मति के राजा सहस्त्रबाहु अर्जुन, वानरों के राजा बालि और पाताल के राजा बलि ने हराया था। बाद में रावण ने इन सभी से मित्रता कर ली। अंत में श्रीराम के हाथों रावण की मृत्यु हुई।
क्या रावण ने यमराज भी हरा दिया था?
रावण से जुड़ी एक मान्यता ये भी प्रचलित है कि रावण ने यमराज को भी हरा दिया था। धर्म ग्रंथों के अनुसार रावण ने जब स्वर्ग पर आक्रमण किया तो यमराज से भी उसका भयंकर युद्ध हुआ। यमराज ने अपना पाश निकालकर जब रावण का वध करना चाहा तो ब्रह्मा ने आकर उन्हें रोक दिया क्योंकि रावण को देवताओं के हाथों न मरने का वरदान था। इस कारण यमराज ने रावण के प्राण नहीं हरे।
किस रूप में रावण ने लिया अगला जन्म?
धर्म ग्रंथों के अनुसार, रावण का अगला जन्म द्वापर युग में कंस के रूप में हुआ। कंस मथुरा का राजा था जो भगवान के भक्तों पर अत्याचार करता था और बुरी शक्तियों को बढ़ावा देता था। इस जन्म में भी रावण भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण के हाथों मारा गया।