प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को महाअष्टमी के पावन अवसर पर दिल्ली के चित्तरंजन पार्क (CR Park) में काली बाड़ी मंदिर में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना कर देशवासियों के सुख-कल्याण की प्रार्थना की. पीएम मोदी के इस कदम को राजनीतिक रूप से भी अहम माना जा रहा है. पीएम मोदी के इस कदम ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) के उस लंबे समय से चले आ रहे नैरेटिव को सीधी चुनौती दी है, जिसमें वह बीजेपी को बंगाली संस्कृति और परंपराओं से दूर बताती रही है.
पश्चिम बंगाल की सियासत में वर्षों से टीएमसी यह प्रचार करती रही कि बीजेपी बंगाली पहचान को नहीं समझती और उसे ‘बंगाल विरोधी’ के रूप में पेश करती है. खासतौर पर अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर सख्त रुख अपनाने के बाद टीएमसी ने इसे ‘बंगाल पर हमले’ की तरह दिखाने की कोशिश की थी. मगर पीएम मोदी का चित्तरंजन पार्क की काली बाड़ी दुर्गा पूजा में शिरकत करना इस आरोप को कमजोर करता दिख रहा है.
पीएम मोदी बंगाली संस्कृति को किया सलाम
प्रधानमंत्री मोदी ने न सिर्फ पूजा-अर्चना की, बल्कि बंगाली संस्कृति की धार्मिक-सांस्कृतिक विरासत को सार्वजनिक मंच से सलाम किया. उन्होंने सोशल मीडिया पर भी लिखा, ‘चित्तरंजन पार्क बंगाली संस्कृति से गहराई से जुड़ा हुआ है. हमारे समाज की एकता और सांस्कृतिक जीवंतता का सच्चा सार इन समारोहों में जीवंत हो उठता है. मैंने सभी के सुख और कल्याण की प्रार्थना की.’
इस कार्यक्रम में मौजूद भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने पूरी श्रद्धा से पूजा की और देवी का आशीर्वाद प्राप्त किया. उनके इस भावपूर्ण सहभागिता ने बंगाली समाज के प्रति गहरा सम्मान दिखाया.’ वहीं बीजेपी विधायक शिखा राय ने कहा कि, ‘वे कहीं भी पूजा कर सकते थे, लेकिन देवी ने उन्हें यहां बुलाया, जो मेरा मानना है कि हम सभी पर उनकी दिव्य कृपा दर्शाता है.’
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इस कदम से बीजेपी यह संदेश देने में सफल रही है कि पार्टी बंगाली संस्कृति के खिलाफ नहीं, बल्कि उसके साथ खड़ी है. पीएम मोदी का यह दौरा पश्चिम बंगाल के मतदाताओं को यह याद दिलाने का काम करेगा कि भाजपा भी दुर्गा पूजा जैसी बंगाल की आत्मा मानी जाने वाली परंपराओं का उतना ही सम्मान करती है.
अब सवाल यह है कि ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी इस कदम के बाद बीजेपी को कैसे बंगाली विरोधी ठहराएगी. पीएम मोदी का यह कदम निश्चित रूप से टीएमसी के नैरेटिव पर सीधा वार है और आने वाले दिनों में बंगाल की राजनीति में इसके असर देखने को मिल सकते हैं.