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“बिहार चुनाव से ठीक पहले ‘वोट चोरी’ पर राहुल गांधी के दावे: बेबुनियाद आरोप या संवैधानिक संस्थाओं को उकसाने की कोशिश?”

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बिहार में पहले चरण के मतदान से ठीक एक दिन पहले, कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग (EC) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर गंभीर आरोप  लगाए। उन्होंने हरियाणा विधानसभा चुनाव में ’25 लाख फर्जी वोटों’ के जरिए कांग्रेस की जीत को हार में बदलने का दावा किया और डुप्लीकेट/बल्क वोटर्स के श्रेणीवार आंकड़े पेश किए।

हालांकि, इन आरोपों को लेकर तत्काल विवाद खड़ा हो गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राहुल गांधी ने जिस वोटर लिस्ट के आधार पर दावा किया, वह मतदान से पहले की थी, जिससे यह सवाल उठा कि उन्हें कैसे पता चला कि इन वोटर कार्ड्स का इस्तेमाल वोटिंग में हुआ। मीडिया की पड़ताल में कुछ दावे झूठे साबित हुए, जैसे कि ‘ब्राज़ीलियन मॉडल’ की तस्वीर वाले वोटर कार्ड की धारक महिला ने सामने आकर दावा किया कि वोटिंग सिर्फ एक बार हुई और गलती तस्वीर मिसप्रिंट होने की थी।

चुनाव आयोग और BJP का पलटवार

बीजेपी ने राहुल गांधी के आरोपों को निराधार बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी। वहीं, चुनाव आयोग ने भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस ने हरियाणा की मतदाता सूची के खिलाफ संशोधन के दौरान या बाद में शपथ पत्र देकर कोई शिकायत या अपील दर्ज नहीं करवाई, जबकि बूथ-स्तरीय एजेंट (BLA) ऐसा करने के लिए अधिकृत थे।

आलोचकों का मानना है कि पटना से लगभग 1100 किलोमीटर दूर हरियाणा का मुद्दा उठाकर, राहुल गांधी असल में बिहार में महागठबंधन की संभावित हार की ‘पेशबंदी’ कर रहे थे।

‘जेन-ज़ी’ को उकसाने का आरोप

प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने भारत के ‘जेन-ज़ी’ (Gen-Z) युवाओं से ‘वोट चोरी को रोकने के लिए आगे आने’ की अपील की। बीजेपी ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया है। बीजेपी नेताओं का आरोप है कि राहुल गांधी जानबूझकर युवाओं को सरकार के खिलाफ आंदोलन करने के लिए उकसा रहे हैं, खासकर नेपाल, मोरक्को और बांग्लादेश जैसे देशों में Gen-Z युवाओं के हिंसक प्रदर्शनों और तख्तापलट की हालिया घटनाओं के संदर्भ में। राजनीतिक विश्लेषक डॉ. आशीष वशिष्ठ के अनुसार, राहुल गांधी एक अगंभीर राजनेता के रूप में दिखाई देते हैं, जो बिना ठोस प्रमाण के आरोप लगाकर सिर्फ संवैधानिक संस्थाओं (EC, ED, CBI) के प्रति जनता में नाराजगी का माहौल बनाना चाहते हैं। ‘चौकीदार चोर है’ से लेकर ‘वोट चोरी’ तक, उनके पिछले आरोप बार-बार हवा-हवाई साबित हुए हैं।

सवाल यह है कि अगर कांग्रेस के पास वाकई पुख्ता सबूत हैं, तो वे अदालत का दरवाज़ा खटखटाने या चुनाव आयोग में शपथ पत्र दाखिल करने के बजाय सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों कर रहे हैं? यह रवैया देश में अस्थिरता और अराजकता का माहौल बनाने की विपक्षी रणनीति की ओर इशारा करता है, जो जनता को उकसाकर सत्ता हासिल करने पर यकीन रखती है।