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“कांग्रेस की कमजोर पारी क्या महागठबंधन पर पड़ी भारी? नहीं चला राहुल गांधी का ‘वोट चोरी’ वाला दांव”

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बिहार विधानसभा चुनाव में बदलाव का दावा कर सत्ता में वापसी की आस लगाए तेजस्वी यादव को तगड़ा झटका लगा है.सीटों के बंटवारे में ज्यादा से ज्यादा सीटें पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाने वाली कांग्रेस सिर्फ 5 सीटों पर आगे है.

जबकि उसने 60 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा था. इसमें कई सीटों पर तो महागठबंधन के अंदर ही फूट पड़ गई और करीब 12 सीटों पर दोस्ताना लड़ाई देखी गई. विधानसभा चुनाव 2020 में कांग्रेस 70 सीटों पर लड़ी थी और 19 सीटें ही जीत पाई थी.

तेजस्वी यादव की पार्टी राजद ने पिछली बार 74 सीटों पर विजय पताका फहराई थी और वो सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. लेकिन इस बार वो रुझानों में खुद 36 पर आकर ठिठक गई है, जो पिछली बार के मुकाबले आधा है. डिप्टी सीएम का ख्वाब देखने वाले विकासशील इंसान पार्टी के मुकेश सहनी भी एक सीट पर सिमटते दिख रहे हैं.

ये 5 बड़ी वजहें

जनता ने बीजेपी-जेडीयू सरकार के आखिरी महीनों में मिली सौगातों को हाथोंहाथ लिया. सवा करोड़ महिलाओं को एकमुश्त 10 हजार रुपये मिलना बड़ा टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ.