बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में आरक्षित सीटों पर इस बार एक बिल्कुल अलग तस्वीर देखने को मिली. खासकर बीजेपी ने रिकॉर्ड प्रदर्शन करते हुए अपने हिस्से आई सभी 11 अनुसूचित जाति (SC) सीटों पर जीत हासिल की.
यह प्रदर्शन पार्टी के इतिहास में अब तक का सबसे शानदार स्ट्राइक रेट माना जा रहा है. 2020 में जहां बीजेपी ने 9 SC सीटें जीती थीं, वहीं इस बार उसने 11 में 11 दर्ज कर सौ फीसदी जीत का नया रिकॉर्ड बना दिया.
आरक्षित सीटों पर बीजेपी का 100% स्ट्राइक रेट 2025 के चुनाव की सबसे बड़ी कहानी बनकर सामने आया है. यह प्रदर्शन न केवल संगठनात्मक मजबूती को दिखाता है बल्कि दलित वोटर्स में एनडीए की बढ़ती पकड़ का संकेत भी देता है.
अब माना जा रहा है कि दलित सीटों पर बीजेपी के बेहतरीन प्रदर्शन से NDA की उन सहयोगी दलों की नींद भी उड़ गई है, जिनका बड़ा वोट बैंक एससी वोटर्स हैं. चिराग पासवान या जीतन राम मांझी के लिए यह चिंता की बात है कि अगर रिजर्व सीटों पर बीजेपी को मतदाताओं को पूरा साथ मिल रहा है तो आगे चलकर एनडीए में उनकी जरूरत खत्म हो सकती है.
महागठबंधन सिंगल डिजिट में सिमटा, एनडीए का दबदबा
राज्य की कुल 40 आरक्षित सीटों 38 SC और 2 ST में एनडीए ने एकतरफा जीत दर्ज की. एनडीए ने 34 SC सीटों और 1 ST सीट पर कब्जा कर लिया, जबकि महागठबंधन केवल 4 SC और 1 ST सीट पर सिमट कर रह गया. 2020 के चुनाव में जहां मुकाबला करीबी था, वहीं 2025 में यह एकतरफा हो गया.
जेडीयू और बीजेपी ने लिखी नई सफलता कहानी
एनडीए की सफलता में जेडीयू और बीजेपी दोनों की बड़ी भूमिका रही. जेडीयू ने 16 में से 13 SC सीटें जीतीं, जो पिछली बार की तुलना में बड़ी छलांग है. वहीं बीजेपी का शत-प्रतिशत स्ट्राइक रेट हर तरह से चर्चा का विषय बना हुआ है. चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) ने 8 में से 5 सीटें जीतीं, जबकि जीतन राम मांझी की हम ने 4 में से 4 सीटें जीतकर अपनी पकड़ मजबूत की.
महागठबंधन की करारी हार, कांग्रेस-वामदल पूरी तरह साफ
महागठबंधन के लिए यह चुनाव बेहद निराशाजनक रहा. RJD ने 20 SC सीटों पर लड़कर सिर्फ 4 सीटें जीतीं. कांग्रेस ने 12 सीटों पर मैदान में उतरकर एक भी सीट नहीं जीती. CPI(ML)L और CPI भी खाता नहीं खोल सके. कई सीटों पर महागठबंधन की पार्टियों के बीच ही मुकाबले देखने को मिले- जैसे राजापाकर में कांग्रेस बनाम CPI और सिकंदरा में RJD बनाम कांग्रेस जिससे वोटों का बिखराव हुआ और एनडीए को सीधा फायदा मिला.
रूझान क्यों बदले? दलित वोटर्स ने एनडीए को क्यों चुना?
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि जेडीयू और केंद्र सरकार की योजनाओं, खासकर महादलित समुदायों पर केंद्रित कार्यक्रमों ने एनडीए को लाभ पहुंचाया. बीजेपी ने अपने सहयोगियों LJP(RV) और हम को आरक्षित सीटों पर पर्याप्त जगह दी, जिससे सामाजिक समीकरण मजबूत हुए. कांग्रेस का दावा है कि सीट बंटवारे ने उन्हें नुकसान पहुंचाया, लेकिन परिणामों ने बता दिया कि दलित वोटर इस बार पूरी तरह एनडीए के साथ खड़े नजर आए.



