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“अफगानिस्तान निभा रहा है भारत से पक्की दोस्ती, पाकिस्तान को छोड़ा, दे दी गजब की खुशखबरी”

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अफगानिस्तान -पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव की वजह से अफगानिस्तान और भारत के बीच रिश्ते और करीबी होते जा रहे हैं. हाल ही में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के व्यापारिक रिश्ते भी खराब हुए हैं और अब तालिबान नेतृत्व बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान सीमा बंद होने पर व्यापारियों को वैकल्पिक मार्ग ढूंढ रहा है.

इसी सिलसिले में अरियाना अफगान एयरलाइंस ने भारत के लिए और भारत से आने-जाने वाले कार्गो किराए में भारी कटौती की घोषणा की है.

काबुल से मिली रिपोर्टों के मुताबिक सितंबर-अक्टूबर में अफगानिस्तान का निर्यात 274 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया. इससे पहले अगस्त-सितंबर में यह आंकड़ा 230 मिलियन डॉलर था. अफगानिस्तान का अधिकतर निर्यात तुर्की, पाकिस्तान और यूएई जाता है. भारत से अफगानिस्तान की कोई जमीनी सीमा नहीं है और पाकिस्तान के रास्ते व्यापार हमेशा मुश्किल रहा है, ऐसे में तालिबान सरकार अब अपने लिए नए रास्ते और नया पार्टनर देख रहा है.

भारत-ईरान से बढ़े व्यापारिक रिश्ते

अफगानिस्तान अब अपनी लंबे समय से बन रही रणनीति को तेज गति दे रहा है और अपने व्यापार को पाकिस्तान के रास्ते से हटाकर ईरान और भारत की ओर मोड़ रहा है. यह बदलाव केवल एक कदम नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की व्यापारिक व्यवस्था को बदल देने वाला है क्योंकि दशकों तक पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के व्यापार पर लगभग पूरी तरह कब्जा जमाए रखा. ज्यादातर आयात कराची बंदरगाह और तोरखम जैसे बॉर्डर पॉइंट्स से होकर आते थे. दोनों देशों के बीच सालाना व्यापार करीब 1 अरब डॉलर से अधिक रहता था, लेकिन अब पाकिस्तान की आक्रामक नीतियों और लगातार बिगड़ते रिश्तों से तंग आकर अफगानिस्तान अब धैर्य खो रहा है.

अफगानी सरकार के आंकड़े बाताते हैं कि पिछले 6 महीनों में अफगानिस्तान-ईरान व्यापार तेजी से बढ़कर 1.626 अरब डॉलर पर पहुंच गया है, जो पाकिस्तान के साथ होने वाले 1.108 अरब डॉलर के व्यापार से ज्यादा है. ईरान के साथ व्यापार का एक बड़ा फायदा यह है कि यह चाबहार बंदरगाह से जुड़ा है. भारत की मदद और निवेश से विकसित यह बंदरगाह अफगानिस्तान को सीधे अरब सागर तक पहुंच देता है और यह रास्ता पूरी तरह पाकिस्तान को बायपास करता है.

भारत-अफगानिस्तान संबंध भी फिर से मजबूत हो रहे हैं. भारत ने काबुल में अपना दूतावास दोबारा खोल दिया है और भारत अब अफगानिस्तान को गेहूं और दवाइयों का निर्यात तेजी से बढ़ा रहा है, वे सामान जिनकी आपूर्ति पहले पाकिस्तान करता था. इसी बीच अरियाना एयरलाइंस के प्रमुख बख्त रहमान शरीफत ने Tolo News से कहा – ‘पाकिस्तान बॉर्डर बंद होने से पहले दिल्ली-काबुल कार्गो दर 2 डॉलर प्रति किलो थी. अब इसे घटाकर दिल्ली से काबुल 0.80 डॉलर और काबुल से दिल्ली 1 डॉलर प्रति किलो कर दिया गया है.’ इससे ताजा और सूखे मेवे, केसर, कालीन, रत्न आदि अफगान उत्पाद कम लागत में और कम समय में भारत भेजे जा सकेंगे. रिपोर्ट के मुताबिक यह कदम अफगान निर्यातकों के लिए महत्वपूर्ण समय पर राहत देगा और तेज परिवहन के कारण कई मुख्य निर्यात उत्पादों को लाभ मिलेगा. अरियाना एयरलाइंस का उद्देश्य कार्गो दरें घटाकर अफगान व्यवसायों पर लॉजिस्टिक दबाव कम करना और निर्यात चैनलों को अधिक भरोसेमंद बनाना है. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत, खाड़ी देशों और यूरोप में अफगान उत्पादों की मांग वाले बाजारों में उसकी पकड़ मजबूत होगी.