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“Medicine Price Hike: बढ़ सकती हैं दवाओं की कीमत! सरकार के एक फैसले से MSME सेक्टर को लगेगा बड़ा झटका, जानें वजह”

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देश में दवाओं की कीमतें आने वाले दिनों में महंगी हो सकती हैं। सरकार फार्मास्यूटिकल सेक्टर में उपयोग होने वाले कच्चे माल यानी फार्मा इनपुट्स पर मिनिमम इंपोर्ट प्राइस (MIP) लागू करने की तैयारी कर रही है। इस बदलाव का सीधा असर दवाएं बनाने वाली कंपनियों और आम उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है।

क्यों बढ़ सकती हैं दवाओं की कीमतें?

फार्मा इंडस्ट्री के अनुसार, कई महत्वपूर्ण कच्चे माल पर MIP लागू होने से API (Active Pharmaceutical Ingredients) की लागत बढ़ेगी। जब इनपुट महंगे होंगे तो दवाएं भी महंगी होना तय है। कंपनियों का कहना है कि यह कदम घरेलू उत्पादकों की रक्षा के लिए तो जरूरी है, लेकिन इसका असर दवा निर्माताओं पर भारी पड़ेगा, खासकर छोटे और मझोले MSME यूनिट्स पर।

किस कच्चे माल पर विचार कर रही है सरकार? सरकार तीन अहम कच्चे माल पर MIP लागू करने पर विचार कर रही है:

➤ Penicillin-G ➤ 6-APA ➤ Amoxicillin ➤ ये सभी एंटीबायोटिक दवाएं बनाने में इस्तेमाल होने वाले सबसे जरूरी तत्व हैं। ➤ उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि इनकी कीमत बढ़ने से देश में आम दवाइयां भी सस्ती नहीं रहेंगी।

MSME सेक्टर पर बड़ा असर रिपोर्ट्स के अनुसार: ➤ 10,000 से अधिक MSME यूनिट्स प्रभावित हो सकती हैं ➤ करीब 2 लाख नौकरियां जाने का खतरा ➤ कई छोटी फैक्ट्रियां लागत बढ़ने के कारण बंद होने की कगार पर आ सकती हैं ➤ सितंबर में सरकार ने ATS-8 के आयात पर 30 सितंबर 2026 तक 111 डॉलर/kg का MIP तय किया था। ➤ इसके बाद सल्फाडायजीन पर भी 1,174 रुपये/kg का MIP लागू किया गया। अब नई घोषणा और दबाव बढ़ा सकती है।

सरकार का नजरिया – आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम

➤ कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि MIP लागू करना भारत की आत्मनिर्भर फार्मा इंडस्ट्री बनाने की दिशा में जरूरी कदम है। भारत कच्चे माल के लिए काफी हद तक चीन पर निर्भर है।  ➤ 2020 में सरकार ने PLI (Production Linked Incentive) स्कीम शुरू की थी ➤ घरेलू उत्पादन बढ़ाना और विदेशी निर्भरता कम करना ➤ सरकार की सोच है कि MIP से भारतीय कंपनियों को वैश्विक बाजार के मुकाबले टिकने का मौका मिलेगा।

इंडस्ट्री की चिंता – संदेश गलत न जाए

➤ कुछ उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि: ➤ PLI स्कीम का मकसद इन कच्चे माल की कीमतें नियंत्रित करना नहीं था। ➤ अगर MIP लागू हुआ तो यह संकेत जा सकता है कि PLI लाभ लेने वाले निर्माता अतिरिक्त सुरक्षा चाहते हैं। ➤ इससे प्रतिस्पर्धा कम हो सकती है और बाजार में असंतुलन बढ़ सकता है।

क्या आगे हो सकता है?

➤ दवाओं के दामों में धीरे-धीरे बढ़ोतरी ➤ MSME पर दबाव, कुछ यूनिट्स बंद होने का खतरा ➤ घरेलू उत्पादकों को संरक्षण, लेकिन मरीजों पर महंगाई का बोझ ➤ फार्मा सेक्टर में नई नीतियों पर आगे और चर्चा संभव’