Home छत्तीसगढ़ चिचोला मंडल के ग्राम झिथराटोला में विशाल हिन्दू सम्मेलन सम्पन्न, उमड़ा जनसैलाब

चिचोला मंडल के ग्राम झिथराटोला में विशाल हिन्दू सम्मेलन सम्पन्न, उमड़ा जनसैलाब

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छुरिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के पावन अवसर पर चिचोला मंडल के शिव शक्ति संगम स्थल, ग्राम झिथराटोला में 20 दिसंबर (शनिवार) को भव्य एवं ऐतिहासिक विशाल हिन्दू सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह आयोजन क्षेत्र के 12 ग्रामों से आए हजारों हिन्दू परिवारों, समाज प्रमुखों और श्रद्धालुओं की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। सम्मेलन ने सनातन संस्कृति, सामाजिक समरसता और एकता का संदेश पूरे क्षेत्र में गूंजाया।
सम्मेलन में सभी समाज प्रमुखों को एक मंच पर आमंत्रित कर उनका सम्मान किया गया और सामाजिक समरसता, भाईचारे और एकजुटता का संदेश दिया गया। मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक जितेन्द्र शर्मा ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में समाज को संगठित रहने, राष्ट्रहित में कार्य करने और सनातन मूल्यों का पालन करने का आह्वान किया।
कार्यक्रम में प्रसिद्ध कथावाचक कृष्णशुभम महाराज ने भी समाज को संगठित रहने और धर्म-संस्कृति की रक्षा के लिए प्रेरित किया। सम्मेलन में मातृशक्ति की प्रभावशाली सहभागिता रही। जिला पंचायत राजनांदगांव की अध्यक्ष श्रीमती किरण वैष्णव ने माताओं के समाज निर्माण में योगदान को रेखांकित करते हुए रामचरितमानस और तुलसीदास जी की प्रेरक कथाओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सनातन हिन्दू समाज की एकता ही उसकी सबसे बड़ी शक्ति है।
कार्यक्रम के अंतर्गत भव्य जलकलश यात्रा निकालकर अतिथियों का स्वागत किया गया। हवन-पूजन, बच्चों द्वारा देशभक्ति गीत और नृत्य प्रस्तुतियों ने वातावरण को भक्तिमय और राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत कर दिया। क्षेत्र के पुरामटोला मानस परिवार ने मानस गीतों और प्रवचनों के माध्यम से ईश्वर का गुणगान किया।
सम्मेलन में उपस्थित भागवताचार्यों और मातृशक्तियों का श्रीफल और अंगवस्त्र भेंट कर सम्मान किया गया। सभी उपस्थितों को भंडारा प्रसादी वितरित किया गया। कार्यक्रम का समापन सर्वे भवन्तु सुखिनः और विश्व कल्याण की कामना के साथ किया गया।
अंत में सभी सामाजिक बंधुओं ने सनातन हिन्दू धर्म को आगे बढ़ाने, सामाजिक एकता सुदृढ़ करने और राष्ट्रहित में सतत कार्य करने का संकल्प लिया। यह विशाल हिन्दू सम्मेलन क्षेत्र में सामाजिक चेतना, सांस्कृतिक गौरव और धार्मिक एकजुटता का प्रतीक बनकर ऐतिहासिक रूप से सम्पन्न हुआ।