भविष्य निधि (प्रविडेंट फंड) में एंप्लॉयर्स और एंप्लॉयीज के योगदान को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उनपर कोई असर नहीं होगा जिनका प्रति माह मूल वेतन (बेसिक सैलरी) और विशेष भत्ता (स्पेशल अलाउंसेज) 15 हजार रुपये से ज्यादा है। हालांकि, भारत में काम कर रहे विदेशियों को इसका फायदा जरूर मिलेगा। पूर्व सेंट्रल प्रविडेंट फंड कमिश्नर ने बताया, पीएफ कॉन्ट्रिब्यूशन का आदेश 15 हजार रुपये तक की बेसिक सैलरी और अलाउंसेज वालों के लिए ही लागू होगा। इससे ज्यादा वेतन वालों के लिए पीएफ में योगदान अनिवार्य नहीं है।
एक अन्य पूर्व सीपीएफसी के. के. जालान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश इसलिए आया है क्योंकि कई एंप्लॉयर्स वैधानिक न्यूनतम वेतन (15 हजार रुपये प्रति माह) वालों का पीएफ नहीं जमा करवा रहे थे। उन्होंने कहा, इसलिए, हमने वैसे मामलों में पीएफ डिडक्शन लागू करने का नियम लागू करने का सुझाव दिया जिनमें कुल वेतन ज्यादा, लेकिन मूल वेतन कम है जिससे पीएफ डिडक्शन का आधार बनता है। नतीजतन, कुछ एंप्लॉयीज की टेक होम सैलरी कम हो जाएगी। हालांकि, इनकी संख्या बहुत कम रहेगी।
कंसल्टिंग फर्म पीडब्ल्यूसी इंडिया के पार्टनर कुलदीप कुमार ने मराठवाड़ा ग्रामीण बैंक के कर्मचारियों और प्रबंधन के बीच के एक वाकये का उदाहरण दिया जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि पीएफ अथॉरिटीज 15 हजार रुपये के न्यूनतम वेतन की वैधानिक सीमा के ऊपर के मामले में एंप्लॉयर पर पीएफ डिडक्शन का दबाव नहीं बना सकती है और न ही इस मामले पर पुनर्विचार याचिका दायर कर सकती है।
उन्होंने कहा, इस आदेश से स्पष्ट हो गया कि पीएफ कंट्रिब्यूशन के लिए वेरिऐबल या इंसेंटिव आदि के रूप में मिलने वाले विशेष भत्तों को वेतन की परिभाषा से बाहर नहीं रखा जा सकता। इस आदेश से स्पष्ट है कि ऐसे भत्तों को वेतन में शामिल माना जाएगा। अब सवाल यह है कि क्या ऐसे भत्ते और मूल वेतन को मिलाकर प्रति माह वेतन 15 हजार रुपये से अधिक होने पर भी एंप्लॉयर्स से पीएफ का पैसा काटने को कहा जाएगा? मई 2014 में पीएफ अथॉरिटीज ने अपने फील्ड ऑफिसरों को निर्देश दिया था कि वे मराठवाड़ा ग्रामीण बैंक केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर 15 हजार रुपये की वैधानिक मंथली सैलरी से ऊपर वालों के लिए पीएफ डिडक्शन के लिए एंप्लॉयर पर दबाव नहीं डाला जाए।
कई कर्मचारियों के लिए विशेष भत्ते परेशानी के सबब हैं जिन्हें लगता है कि उनके पीएफ पेमेंट्स और रिटायरमेंट के बाद की सेविंग्स पर इनका असर पड़ता है जबकि कुछ पीएफ में ज्यादा पैसे जमा करवाना चाहते हैं। ऐसे लोगों की टेक होम सैलरी कम हो जाएगी।