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अपने खेत के मौसम का हाल अब एक फोन कॉल से ही किसान जान जाएगा

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दिनभर खेत पर कैसा मौसम रहेगा, बारिश होगी या नहीं इसकी जानकारी अब किसान फोन पर ले सकेंगे. फोन से कृषि विशेषज्ञों से बात करने के बाद किसान अपने खेत में बुआई, जुताई और कटाई कर सकेंगे. इसकी शुरुआत कृषि मंत्रालय अगस्त माह से तीन राज्य महाराष्ट्र, गुजरात और मध्यप्रदेश में शुरू करने जा रहा है. केंद्र सरकार ने इसके लिए हाल ही में एक प्रमुख आईटी कंपनी के साथ करार किया है जो प्रतिदिन मौसम की ताज़ा जानकारी खेतवार किसान को देगी.

वर्तमान में किसान मौसम संबंधित जानकारी ज़िला स्तर पर स्थापित किसान विज्ञान केंद्र से लेते हैं. ज़िले का क्षेत्रफल अधिक होता है और दो अलग-अलग दिशाओं में खेत के होने से मौसम एक जैसा रहेगा या नहीं यह सटीक बता पाना बेहद ही मुश्किल होता है.आमतौर पर यह देखने में भी आया है कि ज़िले स्तर पर मौजूद किसान विज्ञान केंद्र द्वारा बताए गए पूर्वानुमान के मुताबिक बुआई और कटाई करने पर कई दफा किसानों को नुकसान झेलना पड़ता है. किसानों की इसी तरह की तमाम समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कृषि मंत्रालय ने हर खेत के ऊपर मौसम की ताज़ा अपडेट देने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहा है.

कृषि मंत्रालय के अधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध पर बताया कि ‘तीन राज्यों के तीन ज़िलो पर इस तरह के पायलट प्रोजेक्ट शुरू होने जा रहे हैं. इनमें मध्यप्रदेश के भोपाल में सोयाबीन, महाराष्ट्र के नांदेड़ में कपास और गुजरात के राजकोट में मूंगफली की फसल के बारे में जानकारी एकत्र की जा रही है. ज़िलों में अलग अलग फसल की खेती करने वाले किसानों का डाटा भी एकत्र किया जा रहा है. इसके तहत अभी और बाद में पैदावार पर पड़ने वाले अंतर का विश्लेषण किया जा सकेगा. इसके लिए विभाग द्वारा बकायदा एक पोर्टल और एप भी तैयार किया जा रहा है.’

ऐसे किसान को पता चलेगी मौसम की जानकारी

कृषि मंत्रालय के अनुसार किसान को अपने खेत की जानकारी हासिल करने के लिए सबसे पहले अपने खेत में खड़े होकर किसान विज्ञान केंद्र को फोन करना होगा. जिओ टैग की मदद से फोन करते ही किसान की लोकेशन समेत अक्षांत और देक्षांतर की पूरी जानकारी पोर्टल में दिख जाएगी. इसके बाद आईटी कंपनी उस खेत के किसान की मौसम की जानकारी लगातार अपडेट करेगी.

किसान विज्ञान केंद्र में बैठे लोग लोकेशन के मु​ताबिक किसानों को जानकारी उपलब्ध करवाएगी जैसे धूप, हवा और बारिश कैसी होगी. इसके अलावा मिट्टी में नमी की स्थिति भी बताई जाएगी. एक दफा फोन करने के बाद दोबारा किसान किसी भी स्थान से मौसम जानकारी पूछ सकता है. इसी तरह उस ज़िले में फसल उगाने वाले किसानों की जानकारी भी सरकार को मिलेगी.

कृषि में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर किसानों को बेहतर उपज और फसल बर्बाद होने से बचाने की कोशिश है. सरकार जानती है कि कृषि ऋण समस्या से निपटने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करना ज़रूरी हो गया है और ये पायलट प्रोजेक्ट इसी के मद्देनज़र है.

टैगिंग के लिए इसरो के साथ समझौता

हाल ही कृषि मंत्रालय ने निर्देश के बाद मंत्रालय के राज्यों के कृषि विभागों ने भी भूमि और फसल प्रबंधन के लिए राज्यभर के किसानों के साथ कृषि संपत्तियों की जियो टैगिंग शुरु कर दी है. इस भू-टैगिंग के पीछे सरकार का लक्ष्य कृषि संसाधनों और परिसंपत्तियों का एक लाइन डेटाबेस तैयार करना है. इसे राष्ट्रीय रिमोट्र सेंसिग एजेंसी (NRSA), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(ISRO) से जोड़ा जाएगा.

मंत्रालय ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत कृषि भूमि को टैगिंग करने के लिए NRSA और ISRO के साथ एक समझौता किया है. इसी समझौते के बाद राज्यों ने भी भू-टैगिंग की प्रक्रिया शुरु कर दी है. इसके जरिए फसल के बर्बाद और नष्ट होने के कारणों का पता भी लगाया जा सकेगा. वहीं भूमि का प्रबंधन करने के लिए सेटेलाइट से इमेज लेकर उसकों क्रॉस चेक भी किया जा सकेगा. गौरलतब है कि भू-टैगिंग तकनीक के जरिए एक दशक (2007-2017) में सभी कृषि संपत्तियों की सूची तैयार की जा रही है. इसका उद्देश्य कृषि संपत्तियों पर निगरानी रखना है.

टैगिंग के जरिए किसान सरकार की कई योजनाओं का लाभ उठा रहे है. इसमे किसान की संपत्ति का पूरा विवरण शामिल होता है.