बीते लोकसभा चुनाव (Lok sabha elections 2019) के बाद पश्चिम बंगाल (West Bengal) की राजनीति में खासा बदलाव नजर आ रहा है. इस राजनीतिक बदलाव का असर जिस पर सबसे ज्यादा पड़ा है वो हैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी (Mamata Banerjee). 2019 के लोकसभा चुनाव में अपना किला दरकता देख ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने अब राजनीतिक चाल बदल दी है. लगातार अल्पसंख्यकों (Minorities) के पक्ष में आवाज उठाने वाली ममता पिछले दो महीनों से बहुसंख्यकों के पक्ष में खुलकर खड़ी दिखाई दे रही हैं. इस बदलाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कभी जय श्रीराम का नारा सुनकर नाराज हो जाने वाली ममता अब बहुसंख्यक हिन्दुओं के लिए केन्द्र की मोदी सरकार से दो-दो हाथ करने की तैयारी में हैं.
हिन्दू हितों के लिए आक्रमक होती ममता बनर्जी
गौरतलब है कि पंश्चिम बंगाल के लिए दुर्गा पूजा सबसे बड़ा त्योहार है और ममता बनर्जी ने अपना हिन्दू कार्ड इसी त्योहार को ध्यान में रखकर खेला है. ममता बनर्जी ने कोलकाता की दुर्गा पूजा समितियों को मिले आयकर नोटिस पर केन्द्र सरकार पर हमला बोलते हुए 13 अगस्त को केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ धरना देने का ऐलान कर दिया है. ममता ने अपने ट्वीट में दुर्गापूजा को राष्ट्रीय त्योहार कहते हुए इस तरह के सभी त्योहारों से टैक्स हटाने की मांग की है.
ममता बनर्जी ने अपने ट्वीट में गंगा सागर मेले का भी जिक्र किया है, लेकिन वो किसी भी मुस्लिम त्योहार का नाम लेने से बचती दिखी हैं. साफ है कि ममता इस तरह के ट्वीट और आक्रामक राजनीति से अपनी हिन्दू विरोधी छवि को तोड़ना चाहती हैं.
ममता के बदलाव को करीब से देखने वालों का मानना है कि ममता में ये बदलाव बीते लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में बीजेपी की शानदार जीत और विरोधियों की करारी हार के बाद आया है. दरअसल उत्तर प्रदेश में एसपी-बीएससी ने अपने गठबंधन में जातीय समीकरणों को ध्यान रखा, जिसमें उन्हें 21 फीसदी दलित, 20 फीसदी मुसलमान और 8 फीसदी यादव वोट एक साथ आते दिख रहे थे, लेकिन बीजेपी ने चुनाव में आक्रामक रणनीति अपनाते हुए चुनाव को 20 फीसदी बनाम 80 फीसदी कर दिया. बंगाल में भी बीजेपी ने अपने चुनाव प्रचार को 28 फीसदी बनाम 72 फीसदी बना दिया.
ममता बनर्जी के नए रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) ममता को समझाने में सफल रहे हैं कि 28 फीसदी वोटों के लिए 72 फीसदी मतदाताओं को नाराज नहीं किया जा सकता और इसका ही असर है कि ममता पहले भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में अपनी मुस्लिम सांसद नुसरत जहां (Nusrat Jahan) के साथ नजर आईं और अब दुर्गा पूजा समितियों पर टैक्स के बहाने बीजेपी सरकार पर हमलावर हैं. साफ है कि ममता जिस राह पर चल पड़ी हैं उनमें अभी और बदलाव देखने को मिलेंगे, क्योंकि राज्य में विधानसभा चुनाव में अभी भी काफी वक्त बचा है.