चींटी या पिपीलिका एक सामाजिक कीट है, जो फ़ोरमिसिडाए नामक जीववैज्ञानिक कुल में वर्गीकृत है। इस कुल की 12,000 से अधिक जातियों का वर्गीकरण किया जा चुका है और अनुमान है कि इसमें लगभग 10,000 और जातियाँ हैं। इनका विश्व के पर्यावरण में भारी प्रभाव है, जिसका पिपीलिकाशास्त्री गहरा अध्ययन करते हैं।
चींटी ऐसा अपने छोटे आकार के कारण कर पाती है। वजन उठाना सीधे तौर पर हमारी रिलेटिव स्ट्रेंथपर निर्भर करता है, जिसे हम बॉडी के सतह क्षेत्र (surface area) और आयतन (volume) का अनुपात लेकर निकालते हैं।
1- सतह क्षेत्र 2-D माप है इसलिए लंबाई के वर्ग के अनुसार मापा जाता है। और आयतन 3-D माप है इसलिए घन में मापा जाता है।2- जैसे-जैसे आकार बढ़ता है, द्रव्यमान सतह क्षेत्र की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ता है और अनुपात कम होता चला जाता है मतलब शरीर के अनुपात में स्ट्रेंथ कम हो जाती है। इसके अनुसार चींटी की रिलेटिव स्ट्रेंथ अन्य जीवों की तुलना में अधिक होती है और वो इतना भार उठा पाती है।
पर छोटे तो और भी जीव हैं फिर चींटी ही क्यूँ
चींटी के शरीर पर एक बाह्य आवरण होता है जिसे exoskeleton कहते हैं, ये काइटिन और स्क्लेरोटिन का बना होता है जो इसे लचीलापन और मजबूती प्रदान करते हैं। और दूसरी खास विशेषता है इसकी बनावट- इसकी गर्दन एक सॉफ्ट टिश्यू की बनी होती है जो इसके सिर और वक्ष को जोड़ती है।
चींटी भार हमेशा मुँह से उठाती है और इस लचीली गर्दन की मदद से उसे अपने वक्ष पर स्थानांतरित कर देती है, इसके बाद ये पूरा भर उसकी छः मजबूत टाँगों और शरीर पर समान रूप से पड़ता है और वो आसानी से उसे उठा ले जाती है।