रायपुर: आयकर विभाग (Income tax department) की नजर छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के 60 से ज्यादा नेता (Politicians) आ गए है. जांच के दायरे में आए ये वो 100 से ज्यादा जनप्रतिनिधि (Public representative) है जिन्होंने विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान अपनी संपत्ति का हलफनामा (Affidavit) पेश किया था. इस हलफनामे के बाद वर्तमान विधायक और पूर्व विधायकों की संपत्ति (Property) को क्रॉस चेक (Cross Check) किया गया था. इसके बाद 60 से ज्यादा को नोटिस जारी कर जानकारी प्रॉपर्टी की जानकारी मंगवाई गई है. अब इन्हें दस्तावेजों के साथ जवाब प्रस्तुत करने होगा. अगर नेता संपत्ति का कुल डिटेल देकर अफसरों को संतुष्ट नहीं कर पाए, तो इनके खिलाफ कार्रवाई भी हो सकती है.
जानकारी के मुताबिक नेताओं और जनप्रतिनिधियों से पूछा जाएगा कि नामांकन पत्र में दिखाई गई संपत्ति और रिटर्न वगैरह की पड़ताल में सामने आई संपत्ति में अंतर क्यों है? सूत्रों का कहना है कि विभाग ने कुछ नेताओं को नोटिस भेज भी दिए है. विधानसभा चुनाव करीब 9 माह पहले और लोकसभा चुनाव करीब तीन माह पहले हुए थे. इनमें जितने भी लोगों ने नामांकन पत्र भरा था, आयकर विभाग ने इसमें से उनके संपत्ति के ब्योरे की पड़ताल की थी. ये जांच लगभग पूरी कर ली गई है. खासकर उन नामांकन पत्रों की, जो विधानसभा चुनाव के लिए भरे गए थे. इन्हीं में से 60 से ज्यादा ऐसे लोगों को अलग किया गया है, जिनका ब्यौरा मेल नहीं खा रहा है. इनमें सभी दलों के लोग तथा निर्दलीय भी शामिल है.
चुनाव में हलफनामे में ऐसे सभी विवरण जो (income tax return) से मेल नहीं खाते है, उनको लेकर भी नेताओं से सवाल पूछा जाएगा. खासतौर पर ऐसे नेता जो लगातार चुनाव लड़ रहे है. उनके पांच साल से भी ज्यादा पुराने रिकॉर्ड जांचे गए. जुलाई अगस्त के बीच ये नोटिस जारी होने थे. पड़ताल में लोकसभा चुनाव की वजह से थोड़ी देरी हुई.
कैसे आए संदेह के घेरे में:
छत्तीसगढ़ में पिछले साल हुए विधानसभा और इस साल हुए लोकसभा चुनाव में 14 सौ से ज्यादा प्रत्याशियों ने हलफनामे दाखिल किया था. आयकर विभाग की टीम अब इन हलफनामों की बारीकी से पड़ताल करती है. इसके बाद जिन हलफनामों के ब्योरे में शक होता है, उनकी लिस्टिंग कर ली जाती है. हलफनामे में दिए विवरण और इनकम टैक्स रिटर्न में जो जानकारियां मेल नहीं खाती, उनको लेकर विभाग खुफिया तरीके भी अपनाता है. संदिग्ध विवरण की स्थिति में ज्यादा से ज्यादा जानकारियां जुटाई जाती है. चूंकि इसके लिए पुराने से पुराने विवरण खंगाले जाते है. इसलिए तकनीकी तौर पर इनवेस्टीगेशन टीम का खास रोल होता है.
मिली जानकारी के मुताबिक आयकर में छूट (Income tax exemption) के लिए एग्रीकल्चर इनकम (Agricultural income) दिखाने के तरीके पर भी विभाग की पैनी नजर है. नेताओं को भेजे जाने वाले नोटिस में खेती से कमाई के संदिग्ध ब्यौरे पर भी खासा फोकस किया जा रहा है. खेती की कमाई का विवरण सही है या गलत, इसके लिए विभाग जमीनी पड़ताल की तैयारी में है.