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साबुन बेशक किसी भी रंग का क्यों ना हो, लेकिन झाग हमेशा सफेद ही होता है क्यों?

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वैसे तो आपने टीवी पर कई बार अलग-अलग प्रकार के साबुनों के विज्ञापनों को देखा होगा। हर कंपनी अपने साबुन को सुंदर से सुंदर तरीके से प्रस्तुत करती है ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को आकर्षित कर सके। क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि साबुन का रंग चाहे कोई भी हो मगर उसका झांक हमेशा सफेद क्यों होता है।

आज हम आपको बताते हैं कि साबुन का झाग हमेशा सफेद ही क्यों होता है। इस जवाब को जाने के लिए बस आपको करना यह होगा कि आपको अपनी स्कूल की साइंस किताब को याद करना होगा जिसमें यह बताया गया है कि किसी भी चीज का अपना कोई रंग नहीं होता। वस्तु पर जब प्रकाश की किरणें पड़ती हैं तो वो बाकी रंगों को एब्जॉर्व कर जिस रंग को रिफलेक्ट करती है वही उसका रंग होता है।

अभी बताया गया है कि जब कोई वस्तु सभी रंगों को एब्जॉर्व कर लेती है तो वह काली दिखाई देती है। जब कोई वस्तु सभी रंगों को रिफलेक्ट कर देती है तो वो सफेद दिखाई देती है।

यही नियम साबुन के झाग पर भी लागू होता है। यही चीज़ शैंपू-डिटर्जेंट के साथ यह बात भी देखी जा सकती है कि वे चाहे किसी रंग के हों, उनका झाग हमेशा सफेद ही होता है।

साबुन के झाग का सफेद होने का यह भी कारण बताया जाता है कि झाग कोई ठोस पदार्थ नहीं है। इसकी सबसे छोटी इकाई पानी, हवा और साबुन से मिलकर बनी एक पतली फिल्म होती है। यह पतली फिल्म जब गोल आकार ले लेती है, हम इसे बुलबुला कहते हैं। दरअसल साबुन का झाग बहुत सारे छोटे बुलबुलों का समूह होता है।

साबुन का झाग बनाने वाले छोटे-छोटे बुलबुले भी इसी तरह के सतरंगी पारदर्शी बुलबुलों से बने होते हैं लेकिन ये इतने बारीक होते हैं कि हम सातों रंगों को नहीं देख पाते हैं। वहीं दूसरी ओर प्रकाश इतनी तेजी से घूमता है कि वो सभी रंगों को परिवर्तित करता रहता है। कोई वस्तु सभी रंगों को परिवर्तित कर दे तो उसका रंग सफेद दिखाई देता है। इसी वजह से साबुन का रंग सफेद दिखाई देता है।