Home छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ : अधिकारी-कर्मचारी के लिए आयुवेदिक पद्धति पर की गई संगोष्ठी

छत्तीसगढ़ : अधिकारी-कर्मचारी के लिए आयुवेदिक पद्धति पर की गई संगोष्ठी

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पुणे महाराष्ट्र के ड।संकेत ओम गोड़बोले ने सृजन सभाकक्ष में कलेक्टोरेट के अधिकारी कर्मचारी के लिए आयुर्वेदिक प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि विभिन्न बीमारियों का ईलाज हमारे आस-पास पाए जाने वाले पेड़ पौधे और जड़ी बूटियों से कैसे छोटी-मोटी बीमारियों का घरेलू ईलाज किया जा सकता है। बरसात के मौसम में अक्सर होने वाले डेंगू के ईलाज के बारे में उन्होंने ने बताया कि दो पपीता का पत्ता, शहद और 8 तुलसी के पत्ते तीनो को मिलाकर पेस्ट बना लें मरीज के लिए दिन में चार खुराक और डेंगू से बचने के लिए दो दिन तक सेवन करने बहुत लाभदायक बताया गया।

दमा श्वास बीमारी के लिए चिड़चिड़ा की जड़ की दातून रोज सुबह एक बार एक सप्ताह तक करने से मुंह की दुगर्ध दूर होती है।साथ ही दांत मजबूत होते हैं। पायरिया दंत रोग के लिए बरगद, डुमर, मस्ती, महुआ इन चारों में से किसी एक पेड़ के पत्ते का 4-5 बूंद दूध उंगली पर लेकर मंजन करें एक सप्ताह तक पायरिया बीमारी से निजात मिल जाएगी। डायबिटीज, शुगर बीमारी के लिए गुड़मार चिरायता भुई लीम में से किसी एक का पत्ता लेकर रोज सुबह एक या दो पत्ता चबाकर खाये पानी पीकर नमक जीभ पर दो माह नियमित तक लगाने से लाभ मिलता है। पथरी ईलाज के लिए हीरवा दाल प्रतिदिन 100 ग्राम दाल को 1 लीटर पानी में डालकर रातभर भिगोने के बाद अगली सुबह उबालें और उसका पानी बचने पर छान कर दाल को अलग कर 10 दिनों तक लगातार पानी पीने से पथरी के ईलाज के लिए लाभकारी है। संगोष्ठी में जोड़ों का दर्द, कैंसर, किडनी, माइग्रेन, याददाश्त कमजोर, हकलाना, खराटा, ब्लडप्रेशर, हाइपरटेंशन, हृदय रोग, अत्यधिक मानसिक तनाव आदि बीमारी के उपचार बताया गया। इस अवसर पर डिप्टी कलेक्टर श्रवण कुमार टंडन, कोषालय अधिकारी अनिल पटेल, राजेश मेहरा और अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे।