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बिल गेट्स : तकनीक को ऐसा रुप दें, जिससे नुकसान कम फायदे अधिक हों…

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 माइक्रोसॉफ्ट के सह संस्थापक तथा दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति बिल गेट्स का मानना है कि अधिकांश तकनीक को इस तरह का रूप दिया जा सकता है कि उससे नुकसान कम फायदे अधिक होने लगें. भारत के तीन दिवसीय दौरे पर आए गेट्स ने टॉइलेट टेक्नॉलाजी से लेकर टैक्स और स्वास्थ्य के भविष्य सहित विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से बातचीत की.

भारत में घर-घर में टॉइलट बनवाने में मिली सफलता तथा जलापूर्ति तथा ढांचागत विकास से जुड़ी चुनौतियों पर भी उन्होंने अपनी बात रखी. उन्होंने टॉइलेट टेक्नॉलजी की चर्चा करते हुए कहा हम दो तरह के इनोवेशन कर रहे हैं. पहला कम लागत वाले एक संयंत्र के साथ फिकल स्लज (मानव मल, जल) और ठोस को प्रॉसेस करने की क्षमता. इसमें आपको फिकल स्लज को इकट्ठा करने और उसे प्लांट तक पहुंचाने की जरूरत होगी, लेकिन हमारे पास प्लांट का आकार और बनाने में आने वाली लागत मौजूदा की तुलना में बेहद कम होगी.

एक्चुअल टॉइलेट यह सारा काम खुद करता है, इसलिए इसे रीइन्वेंटेड टॉइलट बोलते हैं, जिसपर अभी भी काम चल रहा है. हमारे पास काफी प्रोटोटाइप हैं, लेकिन एक भी उत्पादन नहीं. वह हमारे पास होगा और हम कामना करते हैं कि अगले पांच साल में ऐसा होगा. जलवायु परिवर्तन जैसी भीषण चुनौतियों से टेक्नॉलजी से निपटने के बारे में गेट्स ने कहा कि टेक्नॉलजी ने मानवों की अवस्था में सुधार करने में बड़ी भूमिका निभाई है. 200 साल पहले की तुलना में हमारा जीवन बेहतर हुआ है.

हेल्थ सेक्टर के भविष्य की भविष्यवाणी की क्षमता पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की हेल्थ स्टोर एक आधे भरे गिलास की तरह है, जहां उसने भारी प्रगति की है. बाल मृत्यु नाटकीय तरीके से कम हो गई है. साल 1991 की तुलना में अब जीवन प्रत्याशा 10 साल बढ़ गई है. भारत ने कई तरह की नई वैक्सिन का ईजाद किया है, जिसमें रोटावायरस वैक्सिन शामिल है और अगले पांच वर्षों में हम न्यूमोकोकस वैक्सिन देने की योजना का खाका खींचेंगे. इस तरह की प्रगति के बावजूद पोषण तथा भारत के कुछ हिस्सों में वैक्सिन के कवरेज पर अभी भी बहुत काम करना बाकी है.