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देश में ऑक्सीजन की कमी के बीच कैसे मददगार है क्रायोजेनिक ऑक्सीजन कंटेनर, जानें यहां

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देश कोरोना महामारी के दूसरे फेज से गुजर रहा है. ऐसे में अबतक 14 मित्र देशों ने भारत की मदद की है. इस मदद में वेंटिलेटर, ऑक्सीजन कॉन्सटेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर, जरूरी दवाइयां, PPE किट और क्रायोजेनिक ऑक्सीजन कंटेनर (Cryogenic Oxygen Container ) है. केंद्र सरकार का कहना है कि ज्यादातर मदद राज्यों तक पहुंचा दी गई है या पहुंचाने की प्रकिया चल रही है.

इन सभी जरूरी चीज़ों में सबसे ज्यादा डिमांड क्रायोजेनिक ऑक्सीजन कंटेनर का है. आइए समझते हैं कि आखिर क्या है ये कंटेनर और इसकी डिमांड कोरोना में क्यों है? दिल्ली के फोर्टिस हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. राजू व्यास ने

बात करते हुए कहा कि- क्रायोजेनिक कंटेनर का इस्तेमाल कम टेम्परेचर पर लिक्विड ऑक्सीजन को स्टोर करने के लिए किया जाता है. इसके साथ ही क्रायोजेनिक कंटेनर में ही लिक्विड ऑक्सीजन को एक शहर से दूसरे शहर बड़ी मात्रा में ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है.

दरअसल अस्पतालों में ऑक्सीजन एयर फॉर्म में इस्तेमाल किया जाता है जिसे लंबी दूरी में ज्यादा मात्रा में नहीं ले जाया जा सकता. आज अस्पतालों में ऑक्सीजन की से कोरोना मरीजों की मौतों का मामला भी सामने आ रहा है.

भारत दूसरे देशों से क्रायोजेनिक ऑक्सीजन कंटेनर मंगवा रहा
ऐसे में सरकार ने भी फैसला लिया कि स्टील कंपनियां जहां ऑक्सीजन ज्यादा मात्रा में बनाया जाता है उसका इस्तेमाल अस्पतालों में किया जाएगा. लेकिन इस फैसले में जो टेक्निकल दिक्कत सामने आई वो ये की स्टील कंपनियों में ऑक्सीजन लिक्विड फॉर्म में होता है और उसकी शुद्धता भी 90 प्रतिशत तक रहती है,जिसे अस्पताल में इस्तेमाल करने के लिए पहले 95 प्रतिशत तक फिल्टर करना होता है

लिक्विड ऑक्सीजन को क्रायोजेनिक कंटेनर में ही रखा जाता है,जो अबतक भारत मे पास उतनी संख्या में नही था. यही कारण के की ऑक्सीजन होते हुए भी राज्यों को ऑक्सीजन नही मिल पा रहा था. अब केंद्र और राज्य सरकार के फैसले के बाद आर्मी की मदद लेकर भारत दूसरे देशों से क्रायोजेनिक ऑक्सीजन कंटेनर मंगवा रहा है वही भारत के मित्र देश भी इसमें भारत की मदद कर रहे हैं. जानकारों का मानना है कि देश मे क्रायोजेनिक कंटेनर की संख्या बढ़ने से स्टील फैक्ट्री से लिक्विड ऑक्सीजन के ट्रांसपोर्ट में कोई दिक्कत नही होगी और सभी राज्यों के अस्पतालों में जितनी आवश्यकता है उतना ऑक्सीजन मिल सकेगा.