आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी (Jagan Mohan Reddy) ने केंद्र सरकार से भारत बायोटेक और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR)-एनआईवी
को कोविड रोधी टीका कोवैक्सीन (Covaxin) बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण करने के निर्देश देने की अपील की है. रेड्डी ने कहा कि टीके की खुराक का उत्पादन बढ़ाने के लिए उन कंपनियों को प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण किया जाना चाहिए जो कि टीके बनाने में सक्षम हैं.
मुख्यमंत्री ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा कि मौजूदा समय में देश में कोवैक्सीन की मांग के अनुरूप टीके का उत्पादन नहीं हो पा रहा है. इस रफ्तार से लोगों का टीकाकरण करने में कई महीनों का समय लग जाएगा. इसलिए टीके के उत्पादन क्षमता वाली तमाम उन कंपनियों के साथ प्रौद्योगिकी और बौद्धिक संपदा साझा की जाए ताकि टीके का उत्पादन बढ़ाया जा सके और लोगों को जल्द से जल्द रियायती दर पर टीका उपलब्ध हो सके.
वैक्सीन विनिर्माताओं को करें प्रोत्साहित
ऑक्सीजन का कोटा बढ़ाने की अपील
इससे पहले मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि आंध्र प्रदेश को मिलने वाली तरल चिकित्सकीय ऑक्सीजन (एलएमओ) के कोटे को बढ़ाकर 910 टन कर दिया जाए. रेड्डी ने मंगलवार को इस संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि आंध्र प्रदेश को 24 अप्रैल तक 480 टन एलएमओ मिल रही थी जिसे आठ मई को बढ़ाकर 590 टन किया गया. मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में कहा कि राज्य में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर ऑक्सीजन की मांग में काफी वृद्धि आई है और मौजूदा एलएमओ कोटा पर्याप्त नहीं है. दस मई को चेन्नई और कर्नाटक से ऑक्सीजन आने में देरी हुई जिसके कारण तिरुपति में ऑक्सीजन की कमी से कोविड-19 के 11 मरीजों की दुर्भाग्यवश मौत हो गयी.
रेड्डी ने प्रधानमंत्री से कहा कि टीके के उत्पादन को लेकर इच्छुक उन तमाम कंपनियों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए जो इसमें सक्षम हैं. संकट के इस समय में उत्पादन क्षमता का भरपूर इस्तेमाल किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि प्रधानमंत्री यह सलाह मान लेते हैं तो टीके के उत्पादन की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है और आपूर्ति भी दुरुस्त हो जाएगी.