दिल्ली-एनसीआर के प्रमुख शहर नोएडा (Noida) का चर्चित बाइक बोट घोटाला (Bike Fraud) एक बार फिर सुर्खियों में है. यह घोटाला करीब 3500 करोड़ रुपये का है. नोएडा में सीबीआई की सरगर्मी को देखते हुए ऐसी चर्चाएं हैं कि इस घोटाले की जांच सीबीआई के हाथों में जा सकती है. अभी तक इस मामले में पहले नोएडा पुलिस ने जांच की तो अब आर्थिक अपराध शाखा (EOW) जांच कर रही है. ऐसी भी चर्चा है कि हाल में सीबीआई (CBI) के एक बड़े अफसर संबंधित थाने में जांच से जुड़े पुलिसकर्मियों से मिले थे. घोटाले के आरोप में 30 से ज्यादा लोग इस वक्त गौतमबुद्ध नगर (Gautam Budh Nagar) की लक्सर जेल में बंद हैं. दो से तीन लोग अभी भी फरार बताए जा रहे हैं.
बाइक बोट घोटाला मामले में नोएडा और लखनऊ में दर्जनों मुकदमें दर्ज हैं. आर्थिक अपराध शाखा इन मुकदमों की जांच कर रही है. इस मामले पर कोर्ट ने भी सख्त रवैया अपनाया हुआ है. कोर्ट के आदेश पर आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है.
इसके तहत लोगों की गाढ़ी कमाई को हड़प कर अर्जित की गई संपत्तियों पर पुलिस की पैनी निगाह है. आरोपियों के पास मिली संपत्तियों को जब्त करने की कार्रवाई की जा रही है. मेरठ में भी कुछ संपत्ति जब्त की जा चुकी है.
ऐसे अंजाम दिया गया था करोड़ों का बाइक घोटाला
बाइक-बोट घोटाला को साधारण शब्दों में इस तरह समझा जा सकता है कि ओला और उबर जैसी कंपनियों की तर्ज पर बाइक टैक्सी चलवाने का झांसा देकर एक प्रोजेक्ट लांच करवाने की घोषणा की गई थी. इसका झांसा देकर हजारों निवेशकों से करोड़ों रुपये की ठगी की गई थी. ईडी के मुताबिक बाइक-बोट कंपनी ने करीब एक लाख 75 हजार निवेशकों को काफी मोटे मुनाफे का लालच देकर करीब तीन हजार रुपये का निवेश करवाया.
लोगों से पैसे निवेश करवाने के बाद उस फंड को फर्जी कंपनियों और ट्रस्ट में दान के नाम पर सारी रकम खपा दी गई. उसके बाद उस दान वाली रकम को कुछ कमीशन देकर संचालकों ने फिर से घुमाकर अपने खातों में ले लिया था. लिहाजा इस मनी ट्रेल को खंगालते हुए ईडी की टीम ने ये कार्रवाई की है.