“नागपुर: महाराष्ट्र के नागपुर में मारबत उत्सव के दौरान लोगों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का विशाल पुतला निकाला ”
नागपुर: महाराष्ट्र के नागपुर में मारबत उत्सव के दौरान लोगों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का विशाल पुतला निकाला। यह अमेरिकी सरकार की ओर से भारतीय सामानों पर हाल ही में लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ का प्रतीकात्मक विरोध था।
इस उत्सव में लोगों ने तख्तियों पर विरोध संदेश भी लिखे। दरअसल मारबत उत्सव नागपुर में हर साल मनाया जाता है। यह उत्सव परंपरा, संस्कृति और सामाजिक मुद्दों पर टिप्पणी का मिश्रण है।
तख्तियों में क्या संदेश? नागपुर में मारबत उत्सव के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पुतला निकाला गया। स्थानीय लोगों ने पुतले पर तख्तियों में संदेश लिखकर अपना विरोध जताया। इन संदेशों में लिखा था कि टैरिफ लगाकर डराने वालों को भारत की ताकत का पछतावा होगा। एक और संदेश था, हमारे सामानों पर टैरिफ लगाने से उनका ही व्यापार बर्बाद होगा। एक तख्ती पर यह भी लिखा था, अमेरिकी अंकल भारत पर प्रतिबंध लगाते हैं, फिर भी रूसी उत्पाद खरीदते हैं।
काली मारबती का ऐतिहासिक महत्व क्या है? स्वतंत्रता-पूर्व काल में लोग अंग्रेजों के अत्याचारों से त्रस्त थे। उस समय जब नागपुर के लोग अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष कर रहे थे। भोसले परिवार की बकाबाई ने अंग्रेजों से हाथ मिला लिया था। इसी बकाबाई के विरोध में 1881 से बकाबाई की एक मूर्ति बनाकर काली मारबती निकाली जाती है। इस काली मारबती का जुलूस मस्कासठ क्षेत्र में स्थित नेहरू प्रतिमा से शुरू होता है। 1942 में इतवारी क्षेत्र में मारबती उत्सव के दौरान दंगा हुआ था। गोलीबारी में 5 लोग मारे गए थे। फिर भी मारबती का जुलूस निकाला गया। कोरोना काल में भी प्रतिबंधों के बावजूद कम संख्या में लोगों की उपस्थिति में काली मारबती के जुलूस की परंपरा का पालन किया गया।
पिउलिया मारबत का ऐतिहासिक महत्व क्या है? पिउलिया मारबत की एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है। पिउलिया मारबत उत्सव की शुरुआत तेली समुदाय की ओर से 1885 में जगन्नाथ बुधवार के दिन की गई थी। उस समय लोग अंग्रेजों के खिलाफ विभिन्न मुद्दों पर लोगों को एकजुट करने के लिए इस मारबत का जुलूस निकालते थे। स्वतंत्रता के बाद पिउलिया मारबत के इस जुलूस के माध्यम से अवांछनीय रीति-रिवाजों और इडा महामारी पर प्रहार किया जाता था।
बागे क्या है? मारबत उत्सव का एक मुख्य आकर्षण बागे है। बागे का अर्थ है अलग-अलग मुद्दों की आलोचना करने वाली मूर्तियां। इन बागों को निकालकर समाज की ओर से उस साल जिन समस्याओं, कुछ महत्वपूर्ण राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक मुद्दों और प्रश्नों का सामना कर रहा होता है, उनकी आलोचना की जाती है।