Home देश टाटा संस के डायरेक्‍टर का खुलासा! ग्रुप में पहली बार दिख रही...

टाटा संस के डायरेक्‍टर का खुलासा! ग्रुप में पहली बार दिख रही ऐसी गुटबाजी, ध्‍वस्‍त हो गए रतन टाटा के बनाए नियम

6
0

टाटा समूह का विवाद पिछले कुछ समय से खुलकर सामने आ गया है. अब टाटा संस के नामांकित निदेशक और टाटा ट्रस्‍ट के ट्रस्‍टी व उपाध्‍यक्ष और रतन टाटा के करीबी रहे विजय सिंह ने अंदरखाने चल रहे विरोध को लेकर बड़ा खुलासा किया है. उन्‍होंने कहा है कि समूह के भीतर पहली बार ऐसी गुटबाजी दिख रही है और लोगों ने दिवंगत रतन टाटा के बनाए नियमों को पूरी तरह ध्‍वस्‍त कर दिया है. हालात यहां तक बिगड़ गए थे कि 157 साल के इतिहास में पहली बार केंद्र सरकार को भी इसमें दखल करना पड़ा.
विजय सिंह ने कहा कि टाटा संस में उनकी पुनर्नियुक्ति के खिलाफ हुआ मतदान वेटरन कारोबारी रतन टाटा के नियमों के खिलाफ था. र‍तन टाटा हमेशा से फैसलों को सर्वसम्‍मति और एकमतता पर लागू करने पर जोर देते थे. लेकिन, विजय सिंह की नियुक्ति पर वोटिंग की गई. इससे टाटा समूह के शीर्ष अधिकारियों के बीच 2 धड़े बन गए. इस तरह की गुटबाजी पहली बार देखी जा रही है, जो दिवंगत रतन टाटा के बनाए नियमों को ध्‍वस्‍त कर रहा है. उन्‍होंने कहा कि इस मामले में रतन टाटा बिलकुल अडिग थे और हमेशा से एकमत होकर फैसलों पर निर्भर करते थे, लेकिन ऐसा लग रहा है कि अब हम अलग ही युग में रह रहे हैं.

किसने बनाए बदतर हालात
विजय सिंह ने कहा कि टाटा समूह के भीतर हाल में हुए मतदान की वजह से 180 अरब डॉलर के टाटा समहू में दो गुट बन गए. टाटा ट्रस्‍ट के 4 ट्रस्टियों ने साथ मिलकर विजय सिंह की पुनर्नियुक्ति का विरोध किया था. इस विरोध की अगुवाई एसपी समहू के मेहली मिस्‍त्री ने की थी और उनके साथ 3 और शीर्ष अधिकारी थे. टाटा ट्रस्‍ट के पास टाटा संस की 66 फीसदी हिस्‍सेदारी है. जाहिर है कि इसमें शामिल होने वाले ट्रस्टियों के पास कंपनी की असली ताकत होती है.

मतदान से गैरहाजिर रहे विजय सिंह
विजय सिंह ने बताया कि जिस दिन उनकी पुनर्नियुक्ति पर मतदान हुआ, वह नहीं थे. लिहाजा किसी के पक्ष या विपक्ष में मतदान का सवाल ही नहीं है. हालांकि, इस दौरान चार ट्रस्टियों ने टाटा संस बोर्ड में मेरी नियुक्ति का खुलकर विरोध किया था. हालांकि, विरोध करने वालों ने इसका कारण नहीं बताया है. गौरतलब है कि साल 1970 बैच के आईएएस और पूर्व रक्षा सचिव सिंह ने 2018 में रतन टाटा के निमंत्रण पर टाटा ट्रस्‍ट को ज्‍वाइन किया था. बाद में उन्‍हें टाटा संस में भी शामिल कर लिया गया. कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट पर अभी भी उन्हें निदेशक के रूप में दर्ज किया गया है, जबकि उन्‍होंने मेहली मिस्‍त्री के विरोध के बाद पद से इस्‍तीफा दे दिया था.

क्‍यों हो रहा विजय का विरोध
रतन टाटा ने विजय सिंह को पहली बार साल 2013 में टाटा संस के बोर्ड में नियुक्‍त किया था, लेकिन 70 साल की उम्र पूरी होने के बाद साल 2018 में उन्‍हें सेवानिवृत कर दिया गया. रतन टाटा ने बाद में नियमों में बदलाव कर साल 2022 में उन्‍हें दोबारा बोर्ड में शामिल कर लिया. बस इसी बात का विरोध मेहली मिस्‍त्री एंड कंपनी कर रही है. उनके साथ सिटी बैंक के पूर्व सीईओ प्रमित झावेरी, जहांगीर अस्‍पताल के अध्‍यक्ष जहांगिर एचसी जहांगिर और सीनियर वकील डेरियस खंबाटा भी शामिल हैं. दूसरी ओर, नोएटा टाटा, टीवीएस समूह के ट्रस्टी वेणु श्रीनिवासन ने विजय सिंह की नियुक्ति का समर्थन किया है. इतना ही नहीं टाटा संस के बोर्ड में खाली पड़े तीन और पदों पर भी नोएल टाटा के सुझाए नामों का मेहली सहित अन्य लोग विरोध कर रहे हैं.