महिलाओं के लिए बेहद राहत की खबर सामने आई है. कर्नाटक सरकार ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसला लिया है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह पॉलिसी मंज़ूर की गई कि अब राज्य की सभी महिला कर्मचारियों को हर महीने एक दिन की पेड पीरियड लीव मिलेगी. यानी महिलाएं सालभर में कुल 12 दिन की पेड पीरियड लीव ले सकेंगी.
किसे मिलेगा इस पॉलिसी का फायदा?
इस नई पॉलिसी का फायदा सरकारी दफ्तरों, प्राइवेट कंपनियों, आईटी फर्म्स, मल्टीनेशनल कंपनियों (MNCs), गारमेंट फैक्ट्रियों और इंडस्ट्रियल यूनिट्स में काम करने वाली सभी महिलाओं को मिलेगा. सरकार का अनुमान है कि इससे करीब 50 लाख महिलाओं को सीधा लाभ होगा.
सरकार का उद्देश्य
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि यह फैसला एक मानवीय, समझदार और समावेशी कार्यस्थल (Inclusive Workplace) बनाने की दिशा में अहम कदम है. कर्नाटक अब बिहार और ओडिशा जैसे राज्यों की सूची में शामिल हो गया है, जहां महिलाओं को पीरियड लीव की सुविधा दी जाती है. बता दें बिहार में सिर्फ सरकारी महिला कर्मचारियों को दो दिन की छुट्टी प्रति माह दी जाती है. वहीं, ओडिशा में यह सुविधा सभी क्षेत्रों की महिलाओं के लिए साल में 12 छुट्टियों के रूप में उपलब्ध है.
क्या कहता है नया बिल?
कर्नाटक लॉ कमीशन ने ‘कर्नाटक मेंस्ट्रुअल लीव एंड हाइजीन बिल, 2025’ का मसौदा तैयार किया था. इसमें सुझाव दिया गया कि कामकाजी महिलाओं को हर साल 12 छुट्टियां दी जाएं. महिला छात्रों को भी हर महीने दो दिन की छुट्टी मिले. कमीशन को इस प्रस्ताव पर 75 प्रतिक्रियाएं मिलीं, जिनमें से 56 ने इसका समर्थन किया. इसके अलावा, अगर कोई नियोक्ता (Employer) पीरियड लीव देने से मना करता है या भेदभाव करता है, तो उस पर 5,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
कर्नाटक में महिलाओं की भागीदारी सबसे अधिक
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, कर्नाटक में महिलाओं की लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट यानी कामकाजी महिलाओं की भागीदारी 31.5% है, जो देश में सबसे ज्यादा है. राजधानी बेंगलुरु में 1.4 करोड़ से ज़्यादा लोग रहते हैं और यहां गूगल, वॉलमार्ट, इंफोसिस, विप्रो जैसी बड़ी कंपनियों के साथ हजारों स्टार्टअप्स भी हैं.
श्रम मंत्री का बयान
राज्य के श्रम मंत्री संतोष लाड ने बताया कि इस पॉलिसी पर पिछले एक साल से काम चल रहा था. उन्होंने कहा, “महिलाएं घर और काम दोनों संभालती हैं. पीरियड के दौरान उन्हें शारीरिक और मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ता है. समिति ने पहले साल में 6 दिन की छुट्टी का सुझाव दिया था, लेकिन सरकार ने इसे बढ़ाकर 12 दिन कर दिया है.”/