कृषि कानूनों के खिलाफ सात माह से अधिक समय से किसान आंदोलन कर रहे हैं. किसान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमा को घेरे धरने पर बैठे हैं. वहीं पिछले सात महीनों में किसानों और सरकार के बीच कोई बातचीत नहीं हुई है. किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार की तुलना करते हुए कहा कि सरकार नरम नहीं पड़ रही है, यह धोखा है.
टिकैत ने कहा कि जो मीठा होता है वह कुर्सी से जाकर चिपक जाता है जैसे ततैया. सरकार मीठी है तो कोई न कोई चाल चलेगी. उन्होंने कहा कि अगर शेर देख कर दुबक जाए तो हिरण को यह नहीं सोचना चाहिए कि वह शांत है. यह समझना चाहिए कि वह कोई न कोई दांव चलेगा. दिल्ली का शेर चुप है इसका मतलब है कि वह हरकत करेगा. गांव वाले सावधान रहें. न वह हारा है और ना ही कमजोर है.
राकेश टिकैत ने कहा कि तैयार रहना गांव वालों, क्योंकि दिल्ली चुप बैठी है. कैसे तैयार रहना है, वह सब उनको पता है. उन्होंने चुनौती भरे लहजे में कहा कि डीजल चाहे आप जितना महंगा कर लें, ट्रैक्टर सारे तैयार हैं. गन्ना तो हमारे पास से चला जाता है लेकिन उसका भाव नहीं मिलता. टिकैत ने कहा कि गन्ने को काट-काट कर खाओगे तो वह रस नहीं देता. गन्ने को पूरी पिराई करनी पड़ती है तभी वह रस देता है. पिराई की जरूरत है.
ट्रैक्टर क्या प्रतिबंधित वाहन है
उन्होंने कहा कि ट्रैक्टर के बिना खेती नहीं होती और ट्रैक्टर क्या प्रतिबंधित वाहन है. उसका बाकायदा रजिस्ट्रेशन होता है. हम पैसे देकर खरीदते हैं तब वह हमारे पास आता है. टिकैत ने कहा कि कल जंतर मंतर पर 10 से अधिक राज्यों के लोग आए थे और उन्होंने अपनी अपनी दिक्कतें बताईं. सबसे बड़ी दिक्कत एमएसपी को लेकर किसानों ने बताई. मीनाक्षी लेखी के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए टिकैत ने कहा कि मवाली तो उनको कहा जाता है जो बड़े-बड़े बाल रखते हैं या उठाई गिरी करते हैं.
हम लड़कियों से माफी नहीं मंगवाते
राकेश टिकैत ने कहा कि ये तो दिल्ली के लोग हैं जो चमचमाते बंगलों में रहते हैं. ये जमीन पर नहीं रहते और इन्हें हम ऐसे ही दिखते हैं क्योंकि हमारी झोपड़ी बांस की बनी हुई है. उन्होंने कहा कि हमने तो कल ही कहा था कि किसी के कहने पर बयान दिया गया है. उनको (मीनाक्षी लेखी को) कागज पर लिख करके दिया गया था. कोई इनका ऑफिस है जहां यह बताया जाता है कि किसको क्या कहना है.
राकेश टिकैत ने आगे कहा कि शाम तक बयान आ गया, ठीक है. हम किसी लड़की या महिला से माफी नहीं मंगवाते हैं. उन्हें (मीनाक्षी लेखी को) अपने विभाग के लिए काम करना चाहिए. दिल्ली के हेल्थ और एजुकेशन को लेकर काम करना चाहिए. गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने किसान आंदोलन को लेकर किसानों को मवाली बता दिया था.