हिमा नजरान के साथ सऊदी अरब की छठवीं जगह को यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया गया है.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल, साइंटिफिक एंड कल्चरल ऑर्गेनाइज़ेशन (यूनेस्को) ने शनिवार को इसका एलान किया है.
यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज़ कमिटी की चीन के फुज़हो में 44वीं बैठक में ये फ़ैसला लिया गया.
सऊदी अरब के दक्षिण पश्चिम में स्थित नजरान प्रांत के हिमा में दुनिया के सबसे बड़े रॉक आर्ट की ये संरचनाएं मौजूद हैं.
यूनेस्को ने ट्विटर पर कहा, “यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में एक और नई जगह शामिल: सऊदी अरब में हिमा का सांस्कृतिक क्षेत्र. मुबारक हो.”
उन्होंने कहा, “हम इस क्षेत्र के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं. शिलालेखों को गहराई से समझने के लिए रिसर्च किया जा रहा है. हम इस बात से उत्साहित हैं कि स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय सैलानी ये ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जगह देखने आएंगे.”
अरब जगत के पुराने कारवां के रास्ते में पड़ने वाले हिमा में ऐसी 34 से भी ज़्यादा जगहें हैं जहां पत्थरों पर इबारतें लिखी हैं और कुएं बने हैं.
मानव सभ्यता की समृद्ध विरासत
सऊदी अरब की सरकारी समाचार एजेंसी एसपीए ने बताया है कि देश के संस्कृति मंत्री प्रिंस बद्र बिन अब्दुल्लाह बिन फ़रहान अल सऊद ने यूनेस्को के इस फ़ैसले का स्वागत किया है.
उन्होंने कहा, “सऊदी अरब में मानव सभ्यता की समृद्ध विरासत है. दुनिया के सामने इन्हें लाने की हमारी कोशिशें साकार हुई हैं.”
अरब, मेसोपोटामिया, लेवांट और मिस्र से हज और कारोबार के लिए सऊदी अरब के दक्षिणी हिस्सों से होकर गुजरने वाले काफिलों के रास्ते में हिमा एक पड़ाव हुआ करता था.
पुराने समय में जो लोग यहां से गुजरे, वो यहां रॉक आर्ट का बड़ा खजाना छोड़ गए.
हिमा नजरान का रॉक आर्ट
हिमा के पत्थरों पर शिकार, वन्य जीव, पेड़-पौधों, प्रतीकों, उस दौर में इस्तेमाल होने वाले औजारों और हज़ारों इबारतें लिखी हैं.
ये इबारतें प्राचीन अरब लिपि जिनमें मुस्नाद, थामुदिक, नबाताइएन और अरबी लिपि के प्राचीन स्वरूप में लिखी हुई हैं.
सऊदी समाचार एजेंसी एसपीए के मुताबिक़ हिमा 215 वर्ग मील लंबे इलाके में फैला है.
वहां 3000 से ज़्यादा पुराने कुएं हैं जिन्हें नजरान प्रांत के विशाल मरुस्थल में पीने के पानी का महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता था.
इन कुओं से आज भी पीने का पानी मिलता है.
सऊदी अरब का विज़न डॉक्युमेंट
सऊदी अरब का हैल क्षेत्र और ऐतिहासिक जेद्दाह भी यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं और यहां भी रॉक आर्ट के उदाहरण हैं.
साल 2019 में सऊदी अरब ने एलान किया था कि जो लोग वहां घूमने आना चाहते हैं, उन्हें टूरिस्ट वीज़ा दिया जाएगा.
इससे पहले सऊदी अरब में केवल कारोबार और हज के लिए मक्का-मदीना जाने वाले लोगों को ही वीज़ा दिया जाता था.
सऊदी अरब ने साल 2030 के लिए जो विज़न डॉक्युमेंट जारी किया है, उसमें देश की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण के मुद्दे को भी शामिल किया गया है.
इसके लिए ये जिम्मा सऊदी अरब के हेरीटेज कमीशन को दिया गया है.
हाल ही में देश में प्राचीन इतिहास से जुड़ी जो नई चीज़ें सामने आई हैं, उसकी वजह से अरब जगच में मानव इतिहास को समझने के लिए पुरातत्वविदों, इतिहासकारों और वैज्ञानिकों के बीच जिज्ञासा बढ़ी है.
पिछले साल हेरीटेज कमीशन ने ताबुक क्षेत्र में 120,000 साल पुराने मानवों और जानवरों के पद चिह्न खोजे जाने का एलान किया था.
इस खोज को अरब प्रायद्वीप में इंसानों की मौजूदगी के पहले साक्ष्य के रूप में देखा गया.
सरकारी समाचार एजेंसी एसपीए के अनुसार, सऊदी अरब ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वैश्विक धरोहरों के संरक्षण के लिए कदम उठाए हैं.
साल 2019 में सऊदी अरब के संस्कृति मंत्रालय ने इसके लिए यूनेस्को को 25 मिलियन डॉलर का अनुदान देने की घोषणा की थी.