नीति आयोग (NITI Aayog) की रिपोर्ट पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने नाराजगी जाहिर की है. नीतीश कुमार ने नीति आयोग की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि देश के सभी राज्यों को एक मानकर रिपोर्ट बनाना गलत है. विकसित राज्य और पिछड़े राज्यों की रिपोर्ट अलग-अलग बननी चाहिए.
नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था को सबसे निचले पायदान पर दिखाया गया. जिसके बाद से बिहार सरकार पर लगातार सवाल उठ रहे थे और सरकार की तरफ से कोई भी जवाब नहीं आया था. लेकिन आज सोमवार को जनता के दरबार के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नीति आयोग पर ही सवाल खड़े करते हुए कहा कि नीति आयोग किस माध्यम से और किस प्रकार काम करती है.
नीतीश कुमार ने कहा कि नीति आयोग किस विषय पर काम कर रहा है. इस पर भी गौर करना चाहिए. पूरे देश को एक ही प्रकार मानकर चलना विचित्र बात है. बिहार आबादी के दृष्टिकोण से देश में तीसरे नंबर पर है. यूपी और महाराष्ट्र के बाद बिहार है. क्षेत्रफल के हिसाब से बिहार 12वें नंबर पर है. एक स्क्वायर किलोमीटर पर जो बिहार में आबादी है वह देश में कहीं नहीं है.
उन्होंने कहा कि हेल्थ के मामले में बिहार में पहले क्या स्थिति थी सबको पता है. फरवरी 2006 में ही हेल्थ का बिहार में सर्वेक्षण किया गया. बिहार के गरीब परिवारों का भोजन से ज्यादा दवाई पर ही खर्च है.
नीति आयोग की रिपोर्ट पर सवाल खड़े करते हुए नीतीश कुमार ने 2005 से पहले बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था की याद दिलाते हुए कहा कि हॉस्पिटल में पहले कुत्ता बैठा हुआ रहता था. आज बिहार में कितने हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज बढ़ गए हैं. पहले IGIMS में ठीक से काम नहीं होता था. एम्स नहीं था. आज आईजीआईएमएस में काम हो रहा है और एम्स बन कर तैयार हो गया है. बिहार में हेल्थ विभाग के लोग मेहनत से काम कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि नीति आयोग को स्पष्ट तौर पर अध्ययन करना चाहिए. कभी मीटिंग होगी तो हम जाकर आकर अपनी बात जरूर कहेंगे. नीति आयोग की रिपोर्ट पर सरकार का उत्तर भी जाएगा. नीति आयोग को पिछड़ा राज्य और विकसित राज्य की अलग-अलग रिपोर्ट बनाना चाहिए. जो पिछड़े राज्य हैं उसके उत्थान के लिए कुछ करना चाहिए. महाराष्ट्र से बिहार की तुलना नहीं की जा सकती है. जो सबसे धनी राज्य है उसकी तुलना बिहार से कैसे किया जा सकता है. यह नीति आयोग की कृपा है, हर राज्य को बराबर बना दे रहे हैं.