दिल्ली (Delhi Air Pollution) में पिछले कई दिनों से जारी वायु प्रदूषण (Air Pollution) की समस्या को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई. इस दौरान दिल्ली सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा गया है कि राज्य सरकार राजधानी में लॉकडाउन लगाने को तैयार है. लेकिन अगर पूरे एनसीआर में लॉकडाउन लगाया जाए तो प्रदूषण की समस्या दूर हो सकती है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सवाल किया है कि क्यों ना दो दिनों के लिए सभी वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया जाए. मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी.
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि सभी राज्यों और शहरों में परिस्थिति अलग अलग हैं. वायु गुणवत्ता में खराबी 500 एक्यूआई से ऊपर होने पर ट्रक-ट्रैफिक, स्कूल का बंद होना, कंस्ट्रक्शन का बंद होना, ये सब दिल्ली सरकार ने किया. हालांकि अभी ऑड ईवन फॉर्मूले पर काम नहीं हुआ है.
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि दिल्ली में ट्रक की एंट्री बैन होनी चाहिए. जो अभी तक नहीं की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने इस सरकार से पूछा कि आप कह रहे हैं कि पराली अब वायु प्रदूषण का मुख्य कारण नहीं है? आप दो दिनों के लिए ट्रक की एंट्री बैन करने की बात कर रहे है. क्यों ना दो दिन के लिए सभी गाड़ियों पर ही बैन लगा दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने माना कि कुछ इलाकों में वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण पराली के अलावा ट्रांसपोर्ट, इंडस्ट्रीज, ट्रैफिक भी हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि आपने इमरजेंसी मीटिंग के बारे में कहा था कि उसका क्या हुआ. इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि दिल्ली सरकार ने इसे लेकर कदम उठाए हैं. राजधानी में निर्माण काम बंद कर दिया है. साथ ही अन्य फैसले भी लिए गए हैं. हरियाणा ने भी कदम उठाए हैं. सरकारी कर्मचारी घर से काम करेंगे. दिल्ली में डीजल जनरेटर पर रोक लगाई गई है.
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि पराली की वजह से दिल्ली में वायु प्रदूषण केवल 10 फीसदी है. ये अब वायु प्रदूषण का बड़ा कारण नहीं है. उन्होंने कहा कि सड़क पर धूल की वजह से प्रदूषण फैलता है. स्टोन क्रशर का बंद होना चाहिए. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि दिल्ली में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण धूल की वजह से होता है.