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अखिलेश की रफ्तार, बीजेपी का प्रचार; 2 पार्टियों पर सिमट रहा यूपी का ‘चौतरफा’ मुकाबला.

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उत्तर प्रदेश विधासभा चुनाव में कुछ महीनों पहले बहुजन समाज पार्टी (BSP) और कांग्रेस (Congress) छोटे खिलाड़ियों पर सिमटती दिख रही है. ऐसे में कहा जा रहा है कि राज्य का विधानसभा चुनाव दोधुरा होगा, जहां समाजवादी पार्टी (SP) सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ सीधी टक्कर में होगी. स्थिति देखकर लगता है कि 2017 की तुलना में इस बार अखिलेश यादव बेहतर प्रदर्शन करेंगे. हालांकि, अभी यह देखा जाना बाकी है कि क्या उनके प्रयास आगे चल रही भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए काफी होंगे.-

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की वाराणसी में आयोजित ‘मास्टरक्लास’ में शामिल हुए करीब तीन दर्जन नेताओं से न्यूज18 ने बात की. पता चला है कि पार्टी मान रही है कि 2017 का 325 सीटों वाला प्रदर्शन दोबारा शायद मुमकिन नहीं होगा, क्योंकि पार्टी यूपी के सत्ता विरोधी लहर के राजनीतिक इतिहास के चलते कुछ नुकसान उठा सकती है, लेकिन वह सत्ता नहीं गंवाएगी.
वाराणसी की बैठक में शामिल होने बाद यूपी में बड़ी सीटों की जिम्मेदारी संभाल रहे बीजेपी नेताओं ने बताया, ‘इस बार का नुकसान हमें सत्ता से बाहर रखने के लिए काफी नहीं होगा. हम फिर भी आसानी से जीतेंगे. नरेंद्र मोदी-योगी आदित्यनाथ की दोहरी अपील के अलावा कमजोर और बटा हुआ विपक्ष भी बड़ी संपत्ति है.’ एक अन्य नेता ने कहा कि सपा-कांग्रेस या सपा-बसपा गठबंधन बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती हो सकता था. एक नेता ने कहा, ‘बगैर विपक्षी गठबंधन के भी बसपा करीब 20 फीसदी वोट हासिल करेगी. कांग्रेस 5-10 प्रतिशत वोट हासिल कर सकती है और भाजपा को 40 फीसदी से ज्यादा वोट मिलेंगे.’

प्रियंका गांधी ने भी रविवार को यह साफ कर दिया है कि कांग्रेस यूपी चुनाव अकेले ही लड़ेगी. सपा और बसपा ने भी एक-दूसरे के साथ गठबंधन की संभावनाओं से इनकार किया है. सपा खेमे में कहा जा रहा है कि यूपी की राजनीतिक का चक्रिय स्वभाव उन्हें सत्ता में वापस लाएगा. चुनावी रणनीति में शामिल सपा नेता ने बताया, ‘यह अब एक दोधुरा चुनाव है और मतदाता जानते हैं कि बसपा या कांग्रेस को वोट देने का मतलब नहीं है. भाजपा विरोधी ज्यादातर वोट सपा को मिलेंगे. यह ‘पिछड़ा बनाम अगड़ा’ का चुनाव है. यादवों और मुसलमानों के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग के वोट भी सपा को मिलेंगे.’

उन्होंने भाजपा के इस भरोसे का विरोध किया कि योगी उनके लिए तुरुप का इक्का थे. पूर्वांचल क्षेत्र के सपा नेता ने कहा, ‘असल में बीजेपी का सीएम के तौर पर योगी का चुनाव अखिलेश के खिलाफ चुनाव में हमें ज्यादा सूट करता है. वे मतदाताओं के बीच ध्रुविकरण करने वाले हैं और चुनाव को हिंदू-मुस्लिम बनाना चाहते हैं.’ महंगाई, ईंधन की बढ़ी कीमतें, रसोई गैस और राशन की कीमतें भी जमीन पर सपा के अभियान को मजबूत बना रही हैं.

2017 में यूपी चुनाव को संभाल चुके वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री ने न्यूज18 से बात की. उन्होंने बताया कि यह चुनाव साबित करेंगे कि अपने पिता मुलायम सिंह यादव की सियासी विरासत को खत्म करने में अखिलेश यादव ‘दूसरे अजीत सिंह’ होंगे या नहीं. उन्होंने कहा, ‘पहले अखिलेश 2017 में कांग्रेस के साथ आए और इसके बाद 2019 में बसपा के साथ आए. अब वे छोटी पार्टियों के साथ आ रहे हैं. दिवंगत अजीत सिंह ने भी पार्टी की विचारधारा से समझौता कर अपने पिता की विरासत के साथ ऐसा ही किया था.’
वाराणसी में भाजपा नेता ने कहा, ‘कोई भी यूपी में अराजकता के काले दिनों की वापसी नहीं चाहता है. इसी मुद्दे ने सपा को सत्ता से बाहर किया था. बगैर संदेह के योगी कानून और व्यवस्था के कड़े प्रशासक रहे हैं.’
कहा जा रहा था कि भाजपा प्रियंका गांधी को लाभ दे रही है. न्यूज18 को पता चला है कि भाजपा नेता इस मुद्दे पर बटे हुए हैं. कुछ का कहना है कि इसका शायद कोई लाभ नहीं मिलेगा. शाह की मास्टरक्लास में शामिल हुए सहारनपुर के भाजपा नेता ने बताया, ‘भाजपा ने प्रियंका यह सुनिश्चित करने के लिए जगह दी कि चुनाव दोधुरा न हो जाए और कांग्रेस विपक्ष के कुछ वोट काटे. लेकिन तथ्य यह है कि कांग्रेस मुख्य रूप से सवर्ण जातियों के वोट का ही नुकसान करेगी, जो बीजेपी का वोट बैंक है. इसके बजाए हमें किसी ऐसे की जरूरत है, जो सपा के पिछड़े वोट को नुकसान पहुंचा सके.’ रालोद और ओम प्रकाश राजभर का साथ और पारिवार तनाव को खत्म करने के लिए शिवपाल यादव के साथ समझ पार्टी के लिए बड़ी संपत्ति होगी.