जर्मनी नौसेना के वाइस एडमरिल के अचिम शोएनबैक (Kay-Achim Schönbach) को भारत में दिए गए एक बयान के कारण इस्तीफा देना पड़ा है. शोएनबैक हाल ही में नई दिल्ली के दौरे पर थे. इस दौरान एक कार्यक्रम में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) की तारीफ कर दी. नई दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान शोएनबैक ने कहा था कि यूक्रेन कभी भी क्रीमिया को वापस हासिल नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा था कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बेहतर सम्मान के हकदार हैं. उन्होंने कहा कि पुतिन को यूक्रेन मामले में सम्मान दिया जाना चाहिए.
आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला और कैसे बढ़ा विवाद:-
वास्तव में क्या हुआ था?
वाइस एडमरिल के अचिम शोएनबैक नई दिल्ली में मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (एमपी-आईडीएसए) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. रूस ने 2014 में जिस क्रीमिया प्रायद्वीप पर कब्जा किया था, वह यूक्रेन को वापस नहीं मिलेगा. उन्होंने कहा था कि रूस को चीन के खिलाफ एक ही पक्ष रखना महत्वपूर्ण है. उन्होंने साथ ही कहा था कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ‘सम्मान’ के हकदार हैं.
शोएनबैक के इन बयानों ने यूक्रेन को नाराज कर दिया और उसने अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए जर्मनी के राजदूत को तलब किया था. शोनएबैक को बर्लिन में भी आलोचनाएं झेलनी पड़ीं. शोएनबैक ने शनिवार देर रात इस्तीफा देते हुए कहा कि वह ‘बिना सोचे-समझे दिए गए अपने बयानों’ के कारण जर्मनी और उसकी सेना को और नुकसान होने से बचाना चाहते हैं. जर्मन नौसेना ने एक बयान में बताया कि रक्षा मंत्री क्रिस्टीन लैम्ब्रेक्ट ने शोएनबैक का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और नौसेना के उप प्रमुख को अंतरिम प्रमुख बना दिया है.
लेकिन शोएनबैक ने वास्तव में क्या कहा?
ऐसा प्रतीत होता है कि शोएनबैक की भविष्यवाणी ने यूक्रेन को सबसे ज्यादा परेशान किया है. उन्होंने कहा कि क्रीमिया, जिसे पश्चिमी सरकारों द्वारा अवैध माना जाता है, उसे यूक्रेन ने हमेशा के लिए खो दिया है. शोएनबैक ने कहा, ‘क्रीमियन प्रायद्वीप चला गया है. यह कभी वापस नहीं आ रहा है. यह सच है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘क्या रूस वास्तव में अपने देश में एकीकृत करने के लिए यूक्रेन की मिट्टी की एक छोटी सी पट्टी में दिलचस्पी रखता है? नहीं, यह बकवास है. पुतिन शायद दबाव डाल रहे हैं, क्योंकि वह ऐसा कर सकते हैं. और वह जानते हैं कि वह हमें विभाजित करते हैं, वह यूरोपीय संघ को विभाजित करते हैं.’
यूक्रेन और रूस के साथ अभी क्या स्थिति है?
पश्चिमी देशों के अनुसार, रूस और यूक्रेन युद्ध के कगार पर हैं. रूस ने सीमा पर 100,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है. ब्रिटिश अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि पुतिन कीव में रूस समर्थक नेतृत्व स्थापित करने की योजना बना रहे हैं. अमेरिका और यूक्रेन को इस बात की आशंका है कि रूस हमला करके देश पर कब्जा कर लेगा. रूस ने यूक्रेन से लगने वाली अपनी सीमा पर एक लाख से अधिक सैनिकों की तैनाती की हुई है. अमेरिका इस संकट को रोकने के लिए लगातार रूस के साथ बैठकें कर रहा है (Ukriane Conflict). इसके साथ ही अमेरिका ने यूक्रेन को 90 टन की सैन्य मदद पहुंचाई है. जिसमें सैनिकों के लिए भेजे गए हथियार भी शामिल हैं.
क्या शोएनबैक नई दिल्ली में विशेष रूप से रूस और यूक्रेन के बारे में बोल रहे थे?
नहीं. ऐसा नहीं था. वह जर्मनी की इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी पर MP-IDSA में एक भाषण दे रहे थे. उन्होंने चीन सहित कई विषयों पर बात की. भारत को इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार बताते हुए शोएनबैक ने कहा कि दोनों देशों को नौसैनिक सहयोग को मजबूत करने और रणनीतिक जुड़ाव बढ़ाने के रास्ते तलाशने चाहिए.
और इस मुद्दे पर जर्मनी कहां खड़ा है?
यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका जैसे देशों ने संभावित रूसी हमले के खिलाफ यूक्रेन को हथियार भेजे हैं, जर्मनी ने अब तक कीव की अपील के बावजूद ऐसा नहीं किया है. रक्षा मंत्री लैंब्रेच ने रविवार के अखबार वेल्ट एम सोनटैग को दिए एक साक्षात्कार में जर्मनी की स्थिति स्पष्ट करने की मांग की. उन्होंने कहा, ‘हम कीव के पक्ष में खड़े हैं. हमें तनाव कम करने के लिए सब कुछ करना होगा. वर्तमान में, हथियारों की डिलीवरी इस संबंध में सहायक नहीं होगी; इस पर जर्मन सरकार में सहमति है.’
जर्मन सरकार का क्या है स्टैंड?
जर्मन सरकार ने जोर देकर कहा कि वह यूक्रेन पर रूसी सैन्य खतरे के मामले पर अपने उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) सहयोगियों के साथ एकजुट होकर खड़ी है (Ukraine Russia Conflict). उसने चेतावनी दी कि अगर रूस यूक्रेन में कोई सैन्य कार्रवाई करता है तो उसे इसकी भारी कीमत चुकानी होगी, लेकिन अन्य नाटो देशों के विपरीत बर्लिन ने कहा कि वह यूक्रेन कोघातक हथियारों की आपूर्ति नहीं करेगा, क्योंकि वह तनाव बढ़ाना नहीं चाहता है.