दुनिया के कई देश अभी भी कोरोना वायरस का दंश झेल रहे हैं. कोरोना के चलते चीन में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं. पूरे देश में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ हो रही है. इस बीच दुनिया पर एक नए वायरस का खतरा मंडराने लगा है.
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार फ्रांस के वैज्ञानिकों ने 48,500 साल पुराने जॉम्बी वायरस को फिर से जिंदा कर दिया है.
शताब्दियों से बर्फ में दबा था वायरस
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार रूस, जर्मनी और फ्रांस के वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च के दौरान 48,500 साल पुराने जॉम्बी वायरस को फिर से जिंदा कर दिया. ये वायरस कई शताब्दियों से जमीन के नीचे बर्फ में दबा था. इतने सालों से बर्फ में दबे रहने के बावजूद भी वायरस बेहद संक्रामक बना रहा.
ग्लोबल वार्मिंग पर कर रहे थे रिसर्च
दरअसल तीन देशों के वैज्ञानिकों की एक टीम रूस के साइबेरिया क्षेत्र में पर्माफ्रॉस्ट (बर्फ की चट्टान) की जांच कर रहे थे. वैज्ञानिकों के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग के कारण इंसानों पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है. शोधकर्ताओं के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग के कारण जलवायु परिवर्तन तेजी से प्राचीन पर्माफ्रॉस्ट को पिघला रहा है.
ग्लोबल वार्मिंग से बर्फ से बाहर आया
शोधकर्ताओं का दावा है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण प्राचीन पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने की घटना ने लगभग दो दर्जन विषाणुओं को पुनर्जीवित कर दिया है. दावा है कि एक झील के नीचे 48,500 से अधिक साल से बर्फ में जमा हुआ जॉम्बी वायरस भी जिंदा हो गया है. शोधकर्ताओं का दावा है कि ये वायरस इंसानों के लिए एक नया खतरा पैदा कर सकता है.
48,500 साल से बर्फ में दबा था वायरस
रिपोर्ट के मुताबिक सबसे पुराना वायरस जिसे पैंडोरावायरस येडोमा कहा जाता है. इसकी उम्र 48,500 साल से ज्यादा बताई जा रही है. इस वायरस ने इसी टीम द्वारा 2013 में खोजे गए वायरस का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया. इस वायरस की उम्र 30,000 साल से ज्यादा बताई गई थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस प्राचीन वायरस को फिर से जिंदा किए जाने के कारण पौधे, पशु या मानव रोगों के मामले में स्थिति बहुत अधिक विनाशकारी होगी.
इंसानों-जानवरों को कर सकता है संक्रमित
रूस, जर्मनी और फ्रांस के शोधकर्ताओं की टीम ने कहा कि उनके रिसर्च में वायरस को पुनर्जीवित करने का जैविक जोखिम पूरी तरह से नगण्य था. लेकिन उनके लक्षित तनावों के कारण से पुनर्जीवित हो गए. वैज्ञानिकों ने माना कि ये वायरस बहुत खतरनाक हैं. ये मनुष्यों और जानवरों को संक्रमित करके बहुत ज्यादा परेशान कर सकते हैं.
ग्लोबल वार्मिंग के कारण बढ़ रहा खतरा
वैज्ञानिक लंबे समय से चेतावनी दे रहे हैं कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण जमी हुई बर्फ पिघलने से जलवायु परिवर्तन बिगड़ जाएगा. जलवायु परिवर्तन से जमीन में दबी मीथेन विघटित हो जाएगी, जिससे ग्रीनहाउस में प्रभाव पड़ेगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल वार्मिंग से यह संभावना है कि प्राचीन परमाफ्रॉस्ट पिघलने पर ये अज्ञात वायरस भी बाहर आ जाएंगे.