Home समाचार Ambubachi Mela 2023: ऐसा मेला जहां हजारों की संख्या में पहुंचते हैं...

Ambubachi Mela 2023: ऐसा मेला जहां हजारों की संख्या में पहुंचते हैं तांत्रिक, 3 दिनों तक पूजा करने की होती है मनाही

10
0

भारत देश में कई मंदिर प्रख्यात हैं. इनमें कोई अपनी विशाल प्रतिमा के लिए तो कोई अपने चमत्कार के लिए जाना जाता है. यहां कई ऐसे मंदिर हैं जो और से अलग हैं. इन्हीं में से एक है नीलाचल पर्वत पर स्थित कामाख्या देवी मंदिर.

कामाख्या देवी मंदिर को प्रमुख शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. यहां हर साल अम्बुबाची मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें हिस्सा लेने के लिए श्रद्धालु, साधु-संत और तांत्रिक दूर दूर से आते हैं.

कब लगेगा इस बार का मेला-असम के गुवाहाटी में स्थित कामाख्या मंदिर में हर साल अम्बुबाची मेले का आयोजन किया जाता है. इस बार इस मेले का आयोजन 22 जून बुधवारसे शुरू होगा जो 26 जून रविवार तक चलेगा. ये मेला चार दिनों तक चलता है. लाखों की संख्या में लोग मेले में हिस्सा लेते हैं. लोगों के पहुंचने तांता अभी से शुरू हो गया है. अंबुबाची मेले की प्रवृत्ति 22 जून को दोपहर 2:30 बजे होगी. प्रवृत्ति का प्रदर्शन किया जाएगा और 22 जून से 25 जून तक तीन दिन और तीन रात के लिए निवृत्ति की जाएगी. 26 जून की सुबह सूर्योदय के बाद निवृत्ति का समापन होगा. प्रवृत्ति के बाद मंदिर का मुख्य द्वार खोला जाएगा और निवृत्ति का दर्शन कराया जाएगा. विशेष वीआईपी दर्शन 26 और 27 जून को बंद कर दिया जाएगा. इस दौरान सामान्य भक्तों को वरीयता दी जाएगी.

क्यों मनाया जाता है मेला?अंबुबाची मेला प्रचीन कामाख्या मंदिर में आयोजित एक वार्षिक हिंदू मेला है. ये मेला माँ कामाख्या के वार्षिक मासिक धर्म के उत्सव का महोत्सव है. इस उत्सव के दौरान तीन दिन मंदिर के कपाट बंद रहते हैं. मेले के आखिरी दिन मां को स्नान कराने के बाद मंदिर के कपाट खोले जाते हैं. ये मेला हर साल जून में लगाया जाता है, इस दौरना मां का रजस्वला स्वरूप सामने आता है. मेले को अमेती या तांत्रिक प्रजनन (Fertility) उत्सव भी कहा जाता है. दरअसल में यहां देश भर से मां की पूजा के लिए तांत्रिक आते हैं.

मेले में प्रतिबंधित हैं ये चीजें-मान्यताओं की मानें तो मासिक धर्म के चलते मां कामाक्या इस दौरान विश्राम करती हैं. इसके चलते इस दौरान भक्तों को मंदिर में जाने की अनुमति नहीं मिलती है. इसके साथ ही इस दौरान कोई भी भक्त कोई पवित्र ग्रंथ नहीं पढ़ेगा, पूजा नहीं करेगा और न ही खाना नहीं बनाएगा. इसके साथ ही खेती करना प्रतिबंधित है.

मेले की मान्यता-मान्यताओं के अनुसार इस दौरान मां मासिक धर्म में होती हैं. उनकी योनि से रक्त स्राव होता है. प्रसाद के रूप में यहां भक्तों को लाल रंग का गीला कपड़ा दिया जाता है. मान्यता है कि देवी के रजस्वला होने से पूर्व वहां सफेद वस्त्र बिछा दिया जाता है और तीन दिन के बाद जब मंदिर के पट खोले जाते हैं तो ये लाल मिलता है.

कैसे पहुंचे-आप कहीं ये भी आ रहे हो आपको सबसे पहले गुवाहाटी रेलवे स्टेशन पहुंचना होगा. यहां से कामाख्या मंदिर लगभग 6 किमी दूर है. ऐसे में आप स्टेशन से कैब करके यहां पहुंच सकते हैं.