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West Bengal Politics: बंगाल में ममता बनर्जी और राज्यपाल फिर आमने-सामने, जानें किन मुद्दों पर है विवाद

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कोलकाता. पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ के समय सीएमममता बनर्जीके साथ विवाद जगजाहिर था. अब नये राज्यपाल सीवी आनंद बोस के साथ भी ममता बनर्जी का विवाद चरम पर पहुंच गया है.

खुद सीएम ममता बनर्जी ने पटना में विपक्षी दलों की बैठक में राज्यपाल की अतिसक्रियता का मुद्दा उठाते हुए कहा कि राज्यपाल बिना राज्य सरकार की सलाह के पश्चिम बंगाल स्थापना दिवस का पालन कर रहे हैं. वह केंद्र सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं.

आरंभ के दिनों में राज्यपाल सीवी आनंद बोस और ममता बनर्जी के रिश्ते अच्छे होने के बावजूद अब रिश्तों में कड़वाहट झलकने लगी है. कामकाज के मुद्दे पर एक-दूसरे के बीच टकराव दिख रहा है.

रामनवमी में हिंसा हो या फिर पंचायत चुनाव में नामांकन दौरान हिंसा हो. राज्यपाल ने न केवल हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया, बल्कि हिंसा करने के वालों के खिलाफ कड़े बयान भी जारी किए. हिंसा के खिलाफ कार्रवाई की बात कही.

पंचायत चुनाव में हिंसा को लेकर राज्यपाल ने राजभवन में एक ‘पीस रूम’ खोल रखा है. इसका उद्देश्य हिंसा को लेकर शिकायतों को सुनना है. यह पश्चिम बंगाल के इतिहास में पहली घटना है.

बंगाल में हिंसा के मुद्दे पर राज्यपाल और ममता सरकार आमने-सामने

इसी तरह से सीएम ममता बनर्जी के आग्रह के बावजूद राज्यपाल ने राजभवन में पश्चिम बंगाल स्थापना दिवस का पालन किया. इससे ममता बनर्जी काफी नाराज बताई जा रही है और टीएमसी ने उनके इस्तीफे की मांग कर डाली है.

इसी तरह से विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति के मुद्दे पर राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच टकराव फिर बढ़ने वाला है सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल और आचार्य सीवी आनंद बोस शिक्षा प्रशासन में सख्ती बरतने जा रहे हैं. जिन कुलपतियों को उन्होंने नियुक्त किया है, उन सभी को राज्यपाल ने तलब किया है.

सूत्रों के मुताबिक, राज्यपाल सीवी आनंद बोस अपने नियुक्त कुलपतियों के साथ बैठक करेंगे. सूत्रों के मुताबिक बैठक का विषय यह हो सकता है कि यूनिवर्सिटी का कामकाज कैसा चल रहा है. आचार्य सीवी आनंद बोस ने हर वीसी से छात्रों के हित में काम करने के लिए ‘कलकत्ता प्रतिबद्धता’ की शपथ ली थी.

कुलपतियों की नियुक्ति के मुद्दे पर चल रहा है टकराव

सूत्रों के मुताबिक यह कलकत्ता प्रतिबद्धता का अगला चरण है. ऐसा दावा सूत्र भी करते हैं कि राजभवन या दक्षिण बंगाल में कहीं नहीं. यह बैठक नॉर्थ बंगाल यूनिवर्सिटी में हो सकती है.आचार्य की इस पोस्ट पर राज्य से टकराव की तस्वीर भी देखने को मिल चुकी है. राज्य मंत्रिमंडल में आचार्य के रूप में मुख्यमंत्री का नाम भी प्रस्तावित किया गया है.

लेकिन यह प्रस्ताव तभी कानून बनेगा, जब इसे राज्य विधानसभा में विधेयक के रूप में पेश किया जाएगा. अगर राज्यपाल इस पर हस्ताक्षर कर देंगे तो यह कानून बन जाएगा। और यहीं जटिलता बनी रहती है.

आचार्य का पद कौन संभालेगा. इस पर पहले से ही राज्य-राज्यपाल में टकराव चल रहा है. वहीं, कुलपति की नियुक्ति भी जटिल है. हाल ही में राज्यपाल द्वारा 11 कुलपतियों की नियुक्ति की गई है.

इस बीच, उच्च शिक्षा विभाग ने अधिसूचना जारी कर कहा है कि कुलपतियों को वेतन या भत्ता नहीं दिया जाएगा. जो जटिलताएं पैदा करता है. इस बीच सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल सीवी आनंद बोस उत्तर बंगाल के उन स्व-नियुक्त कुलपतियों के साथ बैठक करने वाले हैं.

राज्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर ममता और राज्यपाल के बीच विवाद

इस, बीच, राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा को रविवार को राजभवन में राज्यपाल सीवी आनंद बोस से मुलाकात कर सकते हैं. कमिश्नर का पद संभालने के बाद राजीव सिन्हा सिर्फ एक बार राजभवन गये थे, लेकिन उसके बाद से कई बार बुलाए जाने के बावजूद राजीव राज्यपाल से मिलने नहीं गए.

राज्यपाल ने राज्य चुनाव आयुक्त के रूप में राजीव के शामिल होने की रिपोर्ट भी नबान्न को वापस भेज दी. तनातनी के माहौल में राजीव सिन्हा रविवार को राज्यपाल से मिलने जा सकते हैं.

राज्यपाल और ममता बनर्जी की सरकार के बीच राज्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति लेकर विवाद है. राज्यपाल ने नियुक्ति पर हस्ताक्षर नहीं किया है, जबकि ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि नियुक्त चुनाव आयुक्त को बिना इम्पीजमेंट के हटाना संभव नहीं है.