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छत्तीसगढ़ : सिंहदेव को क्यों बनाया डिप्टी CM? कांग्रेस के फैसले की वजह क्या !

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छत्तीसगढ़ में जूझ रही कांग्रेस ने नया दांव चल दिया है.

कांग्रेस ने टीएस सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाने का ऐलान कर दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर हुई बैठक में सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाने का फैसला लिया गया.

इसकी जानकारी कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने ट्वीट कर दी.

छत्तीसगढ़ में कुछ महीने बाद विधानसभा चुनाव हैं. सवाल है कि इस बदलाव से कांग्रेस और खुद टीएस सिंहदेव को क्या हासिल हुआ?

सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाने के पीछे वजह क्या?

राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी कहते हैं कि कोई भी पार्टी अंतर्कलह, गुटबाजी जैसी चीजों के साथ चुनाव में नहीं उतरना चाहती. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को फिलहाल अपनी स्थिति ठीक नजर आ रही है. पार्टी नहीं चाहती कि सरकार बचाने की उसकी संभावनाएं केवल बघेल-सिंहदेव की गुटबाजी के कारण धूमिल हों.

छत्तीसगढ़ में 15 साल तक विपक्ष में रहने के बाद कांग्रेस ने 90 में से 67 विधानसभा सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की थी. विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद बात सरकार का नेतृत्व कौन करेगा पर आई. तब चार नाम रेस में थे- ओबीसी कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष ताम्रध्वज साहू, छत्तीसगढ़ कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव और चरणदास महंत.

छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री चुनने के लिए दिल्ली में बैठकों का दौर शुरू हुआ. कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी ने चारों नेताओं को दिल्ली बुलाया. चरणदास महंत पहली ही बैठक में मुख्यमंत्री पद की रेस से बाहर हो गए.

कहा जाता है कि आलाकमान ने मुख्यमंत्री पद के लिए ताम्रध्वज साहू के नाम पर मुहर लगा दी थी लेकिन बघेल और सिंहदेव ने एकसुर से साफ कह दिया कि अगर उनको सीएम बनाया जाता है तो वे मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होंगे. शुरुआत में ही सिरफुटौव्वल न हो जाए, इस डर से आलाकमान को फैसला बदलना पड़ा और बात बघेल और सिंहदेव के नाम पर आकर अटक गई.

दोनों में से कोई नेता मुख्यमंत्री पद से कम पर मानने को तैयार नहीं था. मान-मनौव्वल के लंबे दौर के बाद कहा जाता है कि दोनों नेताओं के बीच पावर बैलेंस का फॉर्मूला निकला ढाई-ढाई साल का कार्यकाल. सहमति बनी कि शुरुआती ढाई साल भूपेश बघेल मुख्यमंत्री रहेंगे और बाद के ढाई साल सिंहदेव सरकार का नेतृत्व करेंगे. हालांकि आधिकारिक रूप से न तो कभी कांग्रेस की ओर से और न ही किसी बड़े नेता की ओर से इसपर कुछ सार्वजनिक रूप से कहा गया.