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India-France Deal: भारत के लिए जेट इंजन क्यों जरूरी, जिसे फ्रांस के साथ मिलकर बनाएगा?

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भारत और फ्रांस के बीच रक्षा सहयोग को एक नए स्तर पर ले जाते हुए नए करार की घोषणा की गई. पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा सौदा हुआ. घोषणा हुई कि दोनों देश मिलकर हथियार और जेट इंजन बनाएंगे.

भारत का डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) और फ्रांस की साफरान (Safran) कंपनी मिलकर इसे तैयार करेंगे. इसकी शुरुआत इसी साल से होगी.

यह पहला मौका नहीं है जब भारत में जेट इंजन के निर्माण के लिए किसी देश के साथ करार किया गया है. फ्रांस से पहले भारत अमेरिका के साथ भी ऐसा ही एक करार कर चुका है. फ्रांस यात्रा के एक महीने पहले पीएम मोदी ने अमेरिका यात्रा के दौरान यहां की दिग्गज कंपनी GE एरोस्पेस के साथ जेट डील की थी.

GE एरोस्पेस दुनिया की टॉप एयरक्राफ्ट सप्लायर कंपनी है. इस डील के तहत GE एरोस्पेस और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) मिलकर काम करेंगे. दोनों के जरिए तैयार होने वाले जीई-एफ-414 इंजन को भारतीय वायुसेना के लिए तैयार किए जा रहे स्वदेशी फाइटर जेट में लगाया जाएगा.ऐसे में सवाल है कि भारत के लिए जेट इंजन क्यों इतना खास है और भारत के लिए कितनी जरूरी हैयह डील.

क्या है जेट इंजन और कैसे करता है काम, पहले इसे समझें?

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक, विमान के आगे तेज गति से आगे बढ़ने के लिए जेट इंजन ही जिम्मेदार होता है. जेट इंजन को गैस टर्बाइन के नाम से भी जाना जाता है. ये खास तरह से काम करते हैं. इंजन पंखे की मदद से हवा खींचता है और फिर एक कंप्रेसर से हवा का दबाव बढ़ाता है. इस हवा को ईधन और इलेक्ट्रिक स्पार्क के साथ मिलाया जाता है और दबाव पैदा किया जाता है.

एक जेट इंजन फैन, कम्प्रेसर, टर्बाइन, नॉजल और कम्बस्टर जैसे हिस्सों से मिलकर बनता है. पहला एयरक्राफ्ट इंजन हेनरी गिफार्ड ने बनाया. 3 हॉर्स पावर वाला यह इंजन उड़ाने भरने के लिहाज से काफी भारी था.

भारत को जेट इंजन की क्यों जरूरत?

पीएम मोदी का फोकस देश में जेट इंजन के निर्माण का है. ऐसा होने पर भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा जो जेट इंजन का निर्माण कर रहे हैं. पहले अमेरिका और अब फ्रांस के साथ जेट इंजन डील से तीन बड़े फायदे होंगे. पहला, दुनियाभर में भारत का रुतबा बढ़ेगा. दूसरा- अर्थव्यवस्था का दायरा बढ़ेगा. तीसरा- चीन भी जेट इंजन के निर्माण की तैयारी में है और इस कदम से चीन को तगड़ा झटका मिलेगा.

आत्मनिर्भर भारत और डिफेंस सेक्टर को खुद को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार कई प्रोजेक्ट चला रही है. जिसमें जेट इंजन का निर्माण करना भी शामिल है.

वर्तमान में भारतीय वायुसेना के लिए स्वदेशी लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट मार्क 2 पर काम किया जा रहा है. इस फाइटर जेट के लिए 99 इंजन बनाए जाने हैं. फिलहाल फाइटर जेट LCA-मार्क1 और मार्क 1A में GE एरोस्पेस के इंजन का इस्तेमाल किया जा रहा है.

नए प्रोजेक्ट के तहत अब स्वदेशी लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट मार्क 2 के लिए तैयारी की जा रही है. दूसरे फाइटर जेट के मुकाबले इसकी कैपिसिटी कहीं ज्यादा होगी, इसलिए इसके लिए एक पावरफुल इंजन की जरूरत है. जिसे तैयार करने के लिए करार किए गए हैं.

जेट इंजन की तकनीक के जरिए भारत में ऐसे इंजन का प्रोडक्शन बढ़ेगा. देश में इनका निर्माण बढ़ने से लागत बढ़ेगा. अमेरिका के मुकाबले भारत में इसकी लागत कम आएगी और इसका निर्यात करके भारत अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार देगा.

कौन से फाइटर जेट हैं इंडियन एयरफोर्स के पास?

भारतीय वायुसेना के पास LCA मार्क-1 यानी तेजस फाइटर जेट था. इसके आया LCA- मार्क1ए. जिसमें कई अपडेट किए गए थे, लेकिन इंजन वही था. अब डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO)

LCA-मार्क-2 को विकसित करने में जुटा है. दावा किया गया है कि यह काफी खास होगा. दुनिया के दूसरे हल्के फाइटर जेट के मुकाबले अधिक हथियार ले जाए जा सकेंगे.

आसान भाषा में समझें तो ज्यादा हथियार का मतलब है ज्यादा खतरनाक फाइटर जेट. इसके लिए ज्यादा पावरफुल इंजन की जरूरत होगी, जिसके लिए ही यह कवायद चल रही है.

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