”विदेशी निवेशकों के लिए भारत बना सबसे पसंदीदा मार्केट”
नई दिल्ली: विदेशी निवेशक इस साल अब तक भारतीय शेयर बाजार से लगभग 1.2 लाख करोड़ रुपये निकाल चुके हैं। इसकी वजह भू-राजनीतिक तनाव, भारतीय कंपनियों के कमजोर कमाई और टैरिफ वॉर है। अब भारत उभरते बाजारों में निवेशकों के लिए सबसे कम पसंदीदा बाजार रह गया है।
नोमुरा के एक विश्लेषण के अनुसार जुलाई में उभरते बाजारों के निवेशकों ने भारत में अपना निवेश कम कर दिया। वहीं, हांगकांग/चीन और कोरिया में निवेश बढ़ा दिया।नोमुरा ने एक नोट में कहा, ‘जुलाई 2025 के अंत तक उभरते बाजारों के फंड्स ने भारत में अपना निवेश 1.0% तक घटा दिया। हमारे नमूने में शामिल 45 में से 41 फंडों ने भारत में कम निवेश किया। इसके विपरीत, हांगकांग/चीन और कोरिया में निवेश क्रमशः 0.8%, 0.7% और 0.4% बढ़ गया। हांगकांग और चीन के मामले में हमारे नमूने में शामिल 45 में से 37 फंड्स ने जुलाई में अपना निवेश बढ़ाया। वहीं, कोरिया में 29 फंड्स ने निवेश बढ़ाया।’
चीन वर्सेज इंडिया नोमुरा ने पाया कि लगभग 71% उभरते बाजार फंड्स ने जुलाई के अंत तक भारत में कम निवेश किया है। पहले यह आंकड़ा 60% था। अब भारत, उभरते बाजारों में निवेशकों के लिए सबसे कम पसंदीदा बाजार बन गया है। नोमुरा ने कहा, ‘एमर्जिंग मार्केट फंड्स के प्रदर्शन के मामले में जुलाई ज्यादातर फंड मैनेजर्स के लिए एक चुनौतीपूर्ण महीना रहा। जुलाई में केवल 7 फंड्स (45 में से) बेंचमार्क (MSCI EM Index) से बेहतर प्रदर्शन कर पाए। हालांकि, महीने की शुरुआत से अब तक, ज्यादातर फंड (35) बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। सितंबर 2024 में जब चीन के शेयर अप्रत्याशित रूप से बढ़े थे तब केवल 10 फंड्स ही बेहतर प्रदर्शन कर पाए थे।’
इस महीने की शुरुआत में वैश्विक ब्रोकरेज BofA सिक्योरिटीज ने कहा था कि भारत उभरते बाजारों की सूची में सबसे नीचे आ गया है। जापान और चीन सबसे आगे हैं। BofA ने कहा, ‘कॉर्पोरेट सुधार, करेंसी और कमाई जापान के शेयरों के लिए महत्वपूर्ण हैं। निवेशकों को उम्मीद है कि अगले साल मार्च से पहले ब्याज दरें बढ़ेंगी। ताइवान और कोरिया दोनों को AI चक्र से फायदा हो रहा है। कोरिया को नई सरकार की नीतियों से भी उम्मीदें हैं। दूसरी ओर, भारत पर राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा 50% टैरिफ लगाने की घोषणा का असर पड़ा है।’
सतर्क रुख पिछले 1 साल में सेंसेक्स और निफ्टी 2% से भी कम बढ़े हैं। FIIs अगस्त में भी भारतीय शेयरों के शुद्ध विक्रेता बने हुए हैं। उन्होंने महीने में अब तक 21,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की बिक्री की है। जुलाई में 17,741 करोड़ रुपये की बिक्री हुई थी। हाल ही में समाप्त हुए जून तिमाही के नतीजों से भी शेयर बाजार में कोई खास बदलाव नहीं हुआ। भारत कंपनियों ने लगातार पांचवीं तिमाही में लो सिंगल डिजिट में कमाई दर्ज की। अमेरिका को होने वाले भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ लगने के खतरे से भी विदेशी निवेशक सतर्क हैं। जीएसटी रेट में कटौती और वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही से कमाई में सुधार की उम्मीदों के बावजूद विदेशी निवेशक फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रहे हैं।