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NDA से मोदी, ‘INDIA’ से कौन… PM उम्मीदवार घोषित करने से क्यों बच रहा विपक्ष?

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2024 के चुनाव की सियासी पिच तैयार हो चुकी है और टीमें भी. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाला सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) जीत की हैट्रिक लगाने के लिए एकजुट है तो, विपक्ष भी एनडीए का मुकाबला करने के लिए I.N.D.I.A. नाम से नए गठबंधन के साथ तैयार है.

I.N.D.I.A. यानी इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस. एनडीए में जहां 38 दल हैं तो वहीं विपक्षी गठबंधन में अभी 26 पार्टियां.

विपक्ष के गठबंधन की तस्वीर साफ हो रही है लेकिन नेतृत्व को लेकर सवाल कायम हैं. एनडीए का चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही होंगे. दूसरी तरफ, बेंगलुरु बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये सवाल पूछा गया कि विपक्षी गठबंधन का चेहरा कौन होगा? गठबंधन का नेतृत्व कौन करेगा? बैठक की अध्यक्षता करने वाले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसके जवाब में कहा कि कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाई जाएगी. इसमें 11 सदस्य होंगे. संयोजक और सह संयोजक भी बनाए जाएंगे जो सभी घटक दलों में समन्वय स्थापित करने का काम करेंगे. खड़गे के जवाब को इस बात का संकेत माना जा रहा है कि विपक्ष नरेंद्र मोदी के मुकाबले किसी नेता को आगे कर चुनाव मैदान में उतरने की जगह सामूहिक नेतृत्व के फॉर्मूले पर आगे बढ़ेगा.

प्रेसिडेंशियल स्टाइल बनाम सामूहिक नेतृत्व

साल 1996 के चुनाव से ही बीजेपी प्रधानमंत्री पद के लिए अपना चेहरा आगे कर चुनाव लड़ती रही है. 1998 में एनडीए की स्थापना के बाद भी ये परंपरा कायम है. 1996 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी बीजेपी के पीएम उम्मीदवार रहे तो 2009 में एनडीए ने लालकृष्ण आडवाणी पर दांव लगाया. दूसरी तरफ, 2004 के चुनाव में जब यूपीए अस्तित्व में आई थी, तब भी गठबंधन ने वाजपेयी के मुकाबले किसी नेता को आगे नहीं किया था. यूपीए की सरकार बनी और डॉक्टर मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने. 2009 में भी यूपीए ने सत्ता में वापसी की और मनमोहन पीएम बने रहे.

साल 2014 के चुनाव में एनडीए ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाया. यूपीए का चेहरा मनमोहन ही थे. एनडीए को जीत मिली. 2019 के चुनाव में भी विपक्ष ने किसी भी नेता को पीएम कैंडिडेट के रूप में प्रोजेक्ट नहीं किया. हालांकि, कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार की बागडोर संभाली और उनको ही पीएम पद के लिए विपक्ष का अघोषित चेहरा माना गया.

बीजेपी को प्रेसिडेंशियल स्टाइल सूट करती है और पार्टी की रणनीति विपक्ष को अपनी इसी पिच पर लाने की है. बीजेपी चाहती है कि विपक्ष चेहरा घोषित कर दे. इससे चुनाव पीएम मोदी और उस नेता के बीच का बन जाएगा. दूसरी तरफ विपक्ष 2024 की लड़ाई को एनडीए बनाम I.N.D.I.A. बनाना चाहता है. विपक्ष की रणनीति चुनावी जंग को एक चेहरे की जगह सामूहिक नेतृत्व के फॉर्मूले से लड़ने की है.

सामूहिक नेतृत्व का फॉर्मूला विपक्ष के लिए क्यों जरूरी

सामूहिक नेतृत्व का फॉर्मूला कांग्रेस ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों के चुनाव में सफलतापूर्वक आजमाया है जहां कई गुट थे. राजस्थान चुनाव में सचिन पायलट और अशोक गहलोत की रार समाप्त कर चुनाव मैदान में उतरने के लिए भी कांग्रेस ने सामूहिक नेतृत्व का ही फॉर्मूला दिया. गठबंधन में अलग-अलग पृष्ठभूमि की पार्टियां हैं, ऐसे में कांग्रेस ये समझ रही है कि पीएम कैंडिडेट पर आम राय बना पाना कठिन है. मोदी सरनेम केस में सजा के बाद राहुल गांधी लोकसभा चुनाव लड़ पाएंगे? इसे लेकर भी संदेह है. ऐसी स्थिति में पार्टी नहीं चाहती कि साथ आई पार्टियां केवल नेतृत्व के नाम पर छिटक जाएं और दोष उसके मत्थे आए.

परिवारवाद, भ्रष्टाचार बनाम महंगाई, बेरोजगारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष की बैठक से पहले वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अंडमान निकोबार में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया. पीएम ने विपक्षी दलों पर भ्रष्टाचार और परिवारवाद को लेकर जमकर हमला बोला. पीएम ने विपक्ष की इस जुटान को मजबूरी बताया. पीएम ने यूपीए सरकार के कार्यकाल का भी जिक्र किया और कहा कि तब सरकार जैसे-तैसे 10 साल चली लेकिन जब फैसले की बात आती थी तब गठबंधन की मजबूरियां गिना दी जाती थीं.

दूसरी तरफ, बेंगलुरु की बैठक के बाद विपक्ष ने भी अपनी लकीर खींच दी. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि देश में इस समय महंगाई चरम पर है. युवाओं के लिए रोजगार बड़ी समस्या है. महंगाई और बेरोजगारी इस समय बड़े मुद्दे हैं. उन्होंने ये भी कहा कि हम सरकार की नाकामियों को उजागर करेंगे. पीएम मोदी के बयान से साफ हो गया है कि बीजेपी भ्रष्टाचार और परिवारवाद के साथ ही यूपीए सरकार की नाकामियों को लेकर जनता के बीच जाएगी. वहीं, विपक्ष महंगाई और बेरोजगारी के साथ ही मोदी सरकार की नाकामियों को लेकर.

परिवार कल्याण बनाम जनहित

पीएम मोदी ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि इन पार्टियों के लिए अपने परिवार का कल्याण पहले आता है. हमारे लिए देश. बेंगलुरु की बैठक के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम के वार पर पलटवार किया. उन्होंने कहा कि हम सत्ता के लिए साथ नहीं आ रहे हैं. सीबीआई, ईडी का दुरुपयोग कर विपक्ष के नेताओं को टारगेट किया जा रहा है. जनता महंगाई, बेरोजगारी से त्रस्त है. हम जनहित के लिए साथ आए हैं.

न्यू इंडिया बनाम इंडिया के आइडिया पर अटैक

साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक हुई थी. इसमें न्यू इंडिया को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया था. 2019 की चुनावी जंग को बीजेपी ने ‘न्यू इंडिया बनाम विपक्ष का मोदी रोको अभियान’ की थीम पर लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. बीजेपी को इसका लाभ भी हुआ और पार्टी अकेले 303 सीटें जीतने में सफल रही थी. एनडीए ने 350 से अधिक सीटें जीतकर लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी की थी. इसबार विपक्ष की रणनीति चुनाव को ‘न्यू इंडिया बनाम इंडिया के आइडिया पर अटैक’ की थीम पर लाने की है.

बेंगलुरु की बैठक के बाद सबसे पहले कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने गठबंधन के नए नाम I.N.D.I.A. का ऐलान किया. खड़गे ने समन्वय के लिए कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाने, दिल्ली में गठबंधन का सचिवालय खोलने और अगली बैठक के लिए मुंबई का चयन किए जाने की भी जानकारी दी. अंत में राहुल गांधी बोलने आए. राहुल गांधी ने कहा कि हम यही सोच रहे थे कि हमारी लड़ाई किसके साथ है? बीजेपी इंडिया के आइडिया पर अटैक कर रही है. संविधान पर अटैक कर रही है.

विपक्ष की रणनीति के पीछे क्या

बीजेपी की रणनीति साफ है- चुनाव को पीएम मोदी के चेहरे पर केंद्रित किया जाए. विपक्ष 2019 के चुनाव में इसका नुकसान उठा चुका है. इसबार विपक्ष की रणनीति चुनाव को ‘सेंट्रलाइज’ की जगह ‘लोकलाइज’ करने की है. 2019 में राहुल गांधी ने राफेल का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था. विपक्ष ने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी को निशाने पर रखा था लेकिन जब चुनाव नतीजे आए तो बीजेपी और एनडीए को 2014 से भी अधिक सीटें मिल चुकी थीं. हाल के कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस ने किसी नेता को टारगेट करने की जगह मुद्दों पर फोकस किया और सूबे में पार्टी की सरकार भी बनी. कांग्रेस की रणनीति लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी की पिच पर जाकर दो चेहरों के बीच की लड़ाई बनाने की जगह सत्ता पक्ष को महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर लाने की है.