एनसीपी पार्टी के चुनाव चिन्ह और नाम के दावे पर भारत चुनाव आयोग की सुनवाई पर एनसीपी नेता और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार का कहना है, ”हर किसी को अपना पक्ष रखने का अधिकार है, हम भी चुनाव आयोग के सामने अपना पक्ष रखेंगे.” इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) ने भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) से पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर दावा करने वाले बागी अजित पवार के समूह की याचिका पर विचार नहीं करने का आग्रह किया है और कहा है कि अगर आज इसकी अनुमति दी जाती है, तो कोई भी पार्टी सदस्य किसी भी दिन एक “तुच्छ” याचिका दायर कर सकते हैं और अजित का पार्टी अध्यक्ष होने का दावा हास्यास्पद और अवैध है.
क्या है पूरा मामला?
अजित पवार ने 2 जुलाई को अपने चाचा और एनसीपी प्रमुख शरद पवार के खिलाफ विद्रोह कर दिया था और आठ अन्य नेताओं के साथ बीजेपी और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ राज्य सरकार में शामिल हो गए थे. ईसीआई के साथ किए गए दावे में, अजित गुट ने कहा कि 30 जून को, उन्हें पार्टी अध्यक्ष के रूप में चुना गया था और पार्टी का नाम और उसका चुनाव चिन्ह घड़ी, अब उनके पक्ष में है.
किसके पास कितने विधायक?
शरद पवार के नेतृत्व में एनसीपी द्वारा विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को सौंपी गई अयोग्यता याचिकाओं ने पार्टी के भीतर स्पष्ट विभाजन पर प्रकाश डाला है. शरद पवार के पास अब केवल 11 विधायकों का समर्थन है, जबकि उपमुख्यमंत्री अजित पवार, जिन्होंने 2 जुलाई को अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ विद्रोह करके बीजेपी के साथ गठबंधन किया था, ने 41 विधायकों का समर्थन हासिल कर लिया है. दोनों पक्षों ने समर्थक विधायकों की सटीक संख्या का खुलासा करने से परहेज किया था. हालांकि, दो महीने से अधिक समय के बाद उन्होंने अब आधिकारिक तौर पर संख्याओं का खुलासा किया है.