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दिल्‍ली के सबसे महंगे मार्केट की बात करें तो खान मार्केट, इसे ल्यूटियंस दिल्‍ली का मार्केट भी कहा जाता है.

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दिल्‍ली के सबसे महंगे मार्केट की बात करें तो खान मार्केट सबसे ऊपर आता है.

इसे दिल्‍ली का दिल भी कहते हैं क्‍योंकि यह उस जगह बसा हुआ है जहां राष्ट्रपति भवन, संसद भवन सहित कई महत्वपूर्ण इमारतें मौजूद हैं.

बड़े-बड़े अफसर और धनाड्य लोग इस इलाके में रहते हैं. इसे ल्यूटियंस दिल्‍ली का मार्केट भी कहा जाता है.

पांच साल पहले इसका नाम सबसे ज्‍यादा तब उछला जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘खान मार्केट गैंग’ शब्‍द का उल्‍लेख किया. लोगों ने इसके बारे में खूब जानना चाहा. लेकिन इससे इतर खान मार्केट कई वजह से खास है. दूर-दूर से लोग यहां शॉप‍िंग करने आते हैं. जायकेदार पकवानों का लुत्‍फ उठाते हैं. लेकिन कभी आपने सोचा कि खान मार्केट का माल‍िक कौन है? इसे किसने बसाया? यहां की दुकानों का किराया कौन वसूलता है? अजबगजब नॉलेज सीरीज के तहत आइए जानते हैं इसका सही जवाब. बहुत सारे लोगों को इसके बारे में पता नहीं होगा.

खान मार्केट की शुरुआत 1951 में हुई. बंटवारे के बाद पाक‍िस्‍तान से भारत आकर बसे लोगों को यहां रहने के घर बनाए गए थे. नीचे दुकानें थीं और ऊपर घर. अब्‍दुल गफार खान के भाई अब्‍दुल जब्‍बार खान के नाम पर रखा गया, जो एक स्‍वतंत्रता सेनानी थे.

कहा जाता है कि विभाजन के समय जब कत्‍लेआम मचा हुआ था तब अब्‍दुल जब्‍बार खान तमाम हिंदुओं को पाक‍िस्‍तान से सुरक्ष‍ित निकालकर भारत लाए थे. इसल‍िए उनके नाम पर इस मार्केट का नाम रखा गया. कहते हैं कि शुरुआत में यहां सिर्फ 3 घर थे लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, रहने की जगह रेस्‍टोरेंट्स और दुकानों ने ले ली. आज यहां हजारों की संख्‍या में दुकानें खुल गई हैं.

किसके नियंत्रण में यहां की दुकानें

अब आप सोच रहे होंगे कि आख‍िर इन दुकानों का किराया वसूलता कौन है? तो बता दें कि ज्‍यादातर दुकानें लीज पर हैं.

शुरुआत में इनका किराया सिर्फ 50 रुपये महीना तय किया गया था. लेकिन 1956 में पुर्नस्‍थापन मंत्रालय की एक योजना के तहत 6,516 रुपए रुपये पर दुकानें एलॉट की गईं. आज यहां सैकड़ों दुकानें हैं जो सरकार के नियंत्रण में आती हैं. इनका किराया 6 लाख रुपये प्रत‍ि महीने से ज्‍यादा है. मगर बहुत सारी दुकानें निगम के नियंत्रण में हैं. जब राजनाथ सिंह गृहमंत्री थे, तब इसका नाम बदलने की भी मांग की थी, लेकिन यहां के दुकानदारों ने विरोध कर दिया.