एमपी के प्रसिद्ध बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने रायपुर में बड़े बयान दिए हैं.
उन्होंने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को चंद्रखूरी का नाम बदलने का प्रस्ताव दिया है. उन्होंने कहा कि इसका नाम कौशल्या धाम रखना चाहिए. पिछली सरकार की लालच की वजह से छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण बढ़ा.
वे दिशाहीन लोग थे, इसलिए यहां धर्मांतरण बढ़ा. उन्होंने कहा कि मैं जल्द शादी करूंगा. पंडित शास्त्री ने ये बयान 24 जनवरी को मीडिया से चर्चा में कहीं. उन्होंने कांग्रेस का नाम लिए बगैर कहा कि जातिवाद की गणना नहीं होनी चाहिए. इस बात की गणना होनी चाहिए कि गरीब कितने हैं, परेशान कितने हैं.
पं. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि मंदिरों को मत तोड़ा. आगे हम कथा करने कवर्धा और बस्तर भी जाएंगे.
एक सवाल के जवाब में शास्त्री ने कहा कि चादर चढ़ाना चमत्कार है, कैंडल जलाना चमत्कार है, तो मैं अगर दिव्य दरबार करता हूं, हनुमान चालीसा पढ़ता हूं.
गौरतलब है कि पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के ही कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने धर्मांतरण को लेकर बड़ा बयान दिया था.
उन्होंने कहा था कि राज्य में जबरदस्त धर्मांतरण होता है. खासकर जशपुर में लोग धर्म परिवर्तन कराते थे. लेकिन, बीजेपी के वरिष्ठ नेता दिलीप सिंह जूदेव के परिवार ने घर वापसी अभियान चलाया. उन्होंने लोगों के पैर धो-धोकर लोगों की घर वापसी कराई. दिलीप सिंह के जाने के बाद उनके बेटे इस उत्तरदायित्व को निभा रहे हैं.
दूसरी ओर, रायपुर, पंडित धीरेंद्र शास्त्री के घर वापसी के बयान पर कांग्रेस ने पलटवार किया है.
कांग्रेस के संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि जब बीजेपी विपक्ष में थी तो कह रही थी कि धर्मान्तरण हो रहा है. अब सत्ता में हैं तो कहते हैं घर वापसी कराएंगे. केंद्र में बीजेपी की सरकार है. इसलिए बीजेपी को कोरी बयानबाजी कर लोगों को भ्रमित नहीं करना चाहिए. धर्मांतरण के खिलाफ कानून लाना चाहिए.
इस मौके पर उन्होंने कहा कि हम छत्तीसगढ़ से भगवान राम के दर्शन के लिए अयोध्या जाने वालों की चिंता कर रहे हैं. 60 दिनों तक वहां भंडारा विशाल भंडारा किया जाएगा.
सभी सदस्य इसके लिए बधाई के पात्र हैं. मुख्यमंत्री के नाते मुझे बार-बार आयोजन में शामिल होने का अवसर मिल रहा है. यह राम की कृपा है. हमारे भगवान राम कई वर्षों तक टेंट में रहने के बाद भव्य मंदिर में विराजमान हुए हैं. राम भक्तों को भोजन कराने वालों को यहां से विदा करने का अवसर मिला, यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है. भक्तों को ट्रेन से अयोध्या भेजा जा रहा है. पहली ट्रेन दुर्ग से चल रही है.